संजय मग्गू
यह तो कहिए कि हवाएं मेहरबान रहीं और दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश गैस चैंबर बनने से बच गए। दीपावली के अगले दिन उत्तर भारत में तेज चलने वाली हवाओं ने प्रदूषण को उड़ा दिया। इससे इन प्रदेशों में रहने वाले करोड़ों लोगों को बहुत थोड़ी सी राहत मिल गई। इसके बावजूद दीपावली के बाद हरियाणा का अंबाला और पंजाब का अमृतसर जिला पूरे देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। दिल्ली का स्थान इस बार तीसरा रहा। हालांकि पिछले कई सालों में दिल्ली अव्वल रहती आई है। दीपावली की रात पूरे उत्तर भारत में पटाखेबाजी जमकर हुई। लोगों ने प्रतिबंधित और गैर प्रतिबंधित पटाखे बेखौफ होकर चलाए। प्रतिबंध का कोई असर देखने को शायद ही कहीं मिला हो। इसकी वजह से शुक्रवार की सुबह से लेकर शाम तक दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे प्रदेशों में हवा की सेहत काफी खराब रही। लोगों का दम घुटता रहा। हरियाणा के गुरुग्राम का एक्यूआई 309, कुरुक्षेत्र का 306 रहा, तो वहीं चंडीगढ़ का एक्यूआई भी कोई संतोषजनक नहीं रहा। वह बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। प्रदेश के बाकी शहरों में वायु सूचकांक दो-ढाई सौ से ऊपर ही रहा। हरियाणा में जहां पटाखों के चलते वायु प्रदूषण लोगों पर कहर की तरह टूट पड़ रहा था, वहीं किसान भी पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे थे। हरियाणा में 31 अक्टूबर को 42 किसानों ने अपने खेतों में पराली जलाई, तो वहीं एक नवंबर को 35 मामले प्रकाश में आए। पुलिस ने इस मामले में आठ किसानों पर मुकदमे भी दर्ज किए हैं। सवाल यह है कि किसान पराली खेतों में जलाने से बाज क्यों नहीं आ रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार पराली प्रबंधन हेतु पंजीकरण कराने वाले किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये प्रदान करती है। वहीं मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत कोई किसान धान की जगह कोई दूसरी फसल बोता है, तो उसे प्रति एकड़ सात हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। सरकार गांवों के निकट उन लघु उद्योगों को बढ़ावा दे रही है जिसमें पराली की खपत होने की संभावना है। सरकार की ओर से पराली न जलाने के लिए किसानों को दी जा रही इतनी सुविधाओं के बावजूद किसानों का पराली जलाना समझ से बाहर है। अभी कुछ दिनों पहले जब सुप्रीमकोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों पर मुकदमे दर्ज करने का निर्देश दिया था, तो सीएम सैनी ने किसानों पर विश्वास जताते हुए कहा था कि कोई मुकदमा दर्ज नहीं होगा क्योंकि हमारे प्रदेश के किसान समझदार हैं। वे पराली नहीं जलाएंगे, लेकिन सीएम के विश्वास पर जब किसान खरे नहीं उतरे, तो मजबूरन सरकार को सख्त कदम उठाना पड़ा। इस बात को किसानों को समझना होगा
संजय मग्गू