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हरियाणा विधानसभा चुनाव की गेंद अब मतदाताओं के पाले में

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संजय मग्गू
अंतत: चुनावी शोर थम गया। इतने दिनों से तरह-तरह वायदों, लुभावने नारों, जीतने पर दी जाने वाली सुविधाओं को सुनते-सुनते लोगों के कान पक गए थे। अब ऐसे लोग राहत महसूस कर रहे हैं। पिछले लगभग डेढ़ महीने से जनता के बीच चीख-चीखकर खुद का या अपने प्रत्याशी का चुनाव प्रचार करने वाले भी अब सुस्ता रहे हैं। रैलियां निकालकर, रोड शो करके, गली-गली, नुक्कड़-नुक्कड़ पर सभाएं करके मतदाताओं को अपने पक्ष में करने वाले अब शांत हैं। सियासी दलों और उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए उन्होंने क्या कुछ नहीं किया। अब सत्ता की बागडोर एक दिन के लिए मतदाताओं के हाथ में है। पांच अक्टूबर को अपने मत का उपयोग करके सत्ता की बागडोर मतदाता किसे सौंपते हैं, इसका पता आठ अक्टूबर को चलेगा। पांच अक्टूबर तक सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ी रहेंगी। कोई भी प्रत्याशी यह दावा कर पाने की स्थिति में नहीं है कि वह निश्चित रूप से जीतने जा रहा है। जो लोग अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं, उनके समर्थक भले ही दावा कर रहे हों, लेकिन ऐसे उम्मीदवारों को भी पक्का विश्वास नहीं है। अब जब चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है, तो उम्मीदवारों को भगवान की याद आ रही है। वे मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा, मस्जिद और मजारों पर जाकर माथा टेक रहे हैं। भगवान से जिताने की प्रार्थना कर रहे हैं। भाजपा को इस बात का विश्वास है कि तीसरी बार हरियाणा में उसकी सरकार बनने जा रही है। उसे विधानसभा चुनाव के दौरान जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर बांटे गए टिकट और कांग्रेस की अंतरकलह के कारण बहुमत मिलने के पक्के आसार नजर आ रहे हैं। उसने कुमारी सैलजा के बहाने दलितों की हिमायत करके दलित वोटबैंक में सेंध लगाने का प्रयास किया है। ज्यादातर सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला होने पर वोटों के बंटने पर उसकी जीत निश्चित है, यह मानकर भाजपा चल रही है। शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं में पैठ होने के बाद उसने इस बार सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों पर ही फोकस किया है। वहीं कांग्रेस को यह विश्वास हो चला है कि प्रदेश की सत्ता से दस साल दूर रहने का अभिशाप मिटने वाला है। उसे सत्ता विरोधी लहर, किसानों के असंतोष और महिला पहलवानों के साथ किए गए दुर्व्यवहार से उपजी सहानुभूति वोट मिलने का पक्का विश्वास है। वहीं कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की विजय संकल्प रथयात्रा में उमड़ी भीड़ से कांग्रेस गदगद है। उसे लगता है कि जिन क्षेत्रों से रथ यात्रा निकली है, उन क्षेत्रों में ज्यादातर सीटों पर उनका प्रत्याशी जीतेगा। कई सीटों पर बहुकोणीय मुकाबले को छोड़कर ज्यादातर सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में ही मुकाबला है।

संजय मग्गू

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