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राजकुमार के विश्वस्त सहायक की तलाश

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
सच्चा मित्र सुख हो या दुख, कभी साथ नहीं छोड़ता है। इतना ही नहीं, सच्चा मित्र अपने मित्र के दुर्गुणों को दूसरों से छिपाता है और सद्गुणों का बखान करता है। वह यह भी कोशिश करता है कि वह अपने मित्र के दुर्गुणों को दूर कर दे। अपने पुत्र के अच्छे मित्र की पहचान करने के लिए एक राजा ने अनोखा तरीका अपनाया। उसने एक दिन भरे दरबार में घोषणा की कि राज्य के राजकुमार को देश निकाला दिया जाता है। जो भी उसकी मदद करेगा, उसे भी देश से निकाल दिया जाएगा। राजकुमार की समझ में नहीं आया कि उसे बिना कोई अपराध किए देश निकाला क्यों दिया जा रहा है। अब उसे आदेश का पालन तो करना ही था। सलाह लेने के लिए वह अपने एक मित्र के पास गया जिसने राजकुमार को देखते ही दरवाजा बंद कर लिया और कहा कि मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता हूं। चले जाओ। यहां से निराश राज कुमार अपने दूसरे मित्र के पास गया, तो उस मित्र ने दरवाजा खोलते हुए कहा कि मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता हूं। हां, आप चाहें तो मेरा घोड़ा ले जा सकते हैं। यहां से भी निराश राजकुमार अपने तीसरे मित्र के पास गया। मित्र ने राजकुमार का स्वागत करते हुए कहा कि मैं आपके साथ हूं। चलकर राजा से पूछना चाहिए कि उन्होंने तुम्हें देश निकाला क्यों दिया है। दोनों राजा के पास पहुंचे तो राजा ने कहा कि जानते हो राजकुमार का साथ की क्या सजा है? मित्र ने कहा कि मुझे हर सजा मंजूर है, लेकिन राजन! यह तो बताएं कि ऐसी सजा क्यों दी है? राजा ने कहा कि मैं अपना राज्य राजकुमार को देना चाहता हूं, लेकिन मैं यह देखना चाहता था कि उसके पास कोई विश्वस्त मित्र है या नहीं। आज से यह इस राज्या का राजा होगा और तुम उसके सहयोगी।

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