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आचार संहिता के चलते नहीं होगा युवाओं के सपनों पर तुषारापात

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पूरे देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद हरियाणा के संदर्भ में दो बातें अच्छी हुई हैं। एक तो प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार और सरकारी पदों पर भर्ती प्रक्रिया में आचार संहिता किसी भी तरह बाधक नहीं है। 15 मार्च को मीडिया जगत में यह खबर बहुत तेजी से फैली कि कल यानी 16 मार्च को नवनियुक्त सीएम नायब सिंह सैनी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। इसके लिए राजभवन में तैयारियों की भी खबरें आईं, लेकिन 16 मार्च को ही चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी और पूरे देश में आचार संहिता लागू कर दी गई। प्रदेश सरकार ने आचार संहिता लागू होते ही अपने कदम पीछे खींच लिए और मंत्रिमंडल विस्तार रोक दिया गया।

बाद में इस मुद्दे पर प्रदेश के निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि वैसे तो मंत्रिमंडल विस्तार पर कोई रोक नहीं है, लेकिन यदि कोई शिकायत आती है, तो केंद्रीय निर्वाचन आयोग से इस मामले में विचार विमर्श किया जाएगा। दूसरी बात यह सामने आई कि आचार संहिता लागू होने से प्रदेश के युवा बेरोजगार काफी निराश हो गए कि अब चुनावी महासंग्राम खत्म होने के बाद ही नई भर्ती हो सकेगी। लेकिन इन दोनों बातों में सकारात्मक पहलू यह है कि प्रदेश सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकती है। आज यानी 19 मार्च को आठ विधायकों को मंत्री पद की शपथ भी दिला दी गई है।

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मंत्रिमंडल विस्तार में पूर्व गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को शामिल नहीं किया गया है। वे अब भी नाराज बताए जाते हैं। वहीं सरकार ने फैसला किया है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति करके भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। जिन पदों के लिए परीक्षाएं और साक्षात्कार हो चुके हैं, उनके रिजल्ट निर्वाचन अधिकारी की अनुमति लेने के बाद जारी किए जाएंगे। जिन पदों पर भर्तियां होनी हैं, निर्वाचन अधिकारी की अनुमति लेकर उन पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बता दें कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भोपाल सिंह खादरी लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही इस्तीफा दे चुके हैं।

अभी तक चयन आयोग के चेयरमैन का पद खाली है। सरकार इस पद पर किसी वरिष्ठ अधिकारी को प्रशासक के रूप में बिठाकर युवाओं को निराशा से बचाने का प्रयास करने जा रही है। वैसे मनोहर लाल सरकार पिछले साढ़े नौ साल में 1.22 युवाओं को सरकारी नौकरियां दे चुकी है। पूर्व सीएम ने दावा किया था कि उनके शासन काल में बिना खर्ची और बिना पर्ची के निष्पक्ष भर्तियां की गई हैं। उन्होंने अपनी पूर्ववर्ती सरकारों पर भर्ती में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया था। बहरहाल, प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के लिए यह संतोष की बात है कि आचार संहिता के चलते उनके सपनों पर तुषारापात नहीं होगा।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

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