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वैश्विक व्यापार को बचाने के लिए हूती विद्रोहियों से निपटना जरूरी

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अभी बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, जब भारतीय नौसेना ने हूती विद्रोहियों के कब्जे से भारतीय नागरिकों सहित लाइबेरियाई झंडे वाले जहाज को बचाया था। हूती विद्रोही इससे पहले कई मालवाहक और नौसैनिक जहाजों पर हमला कर चुके थे। अमेरिका भी हूती विद्रोहियों को लेकर काफी परेशान है। वह भी लगातार उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। इधर चार देशों रूस-यूक्रेन और गजा-इस्राइल के बीच चल रहे युद्ध की वजह से समुद्र हथियारों और विमानों के अवशेषों से पटा जा रहा है।

हूती विद्रोही अरब सागर से गुजरने वाले जहाजों पर मिसाइलों से हमला करके उन्हें नष्ट कर रहे हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते काला सागर भी लगभग ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है। हूती विद्रोहियों ने वर्ष 2014 में यमन पर हमला करके उसके एक हिस्से पर कब्जा कर लिया था। तब से यह देश गृहयुद्ध की चपेट में है। पिछले साल जब इजरायल और गजा के बीच युद्ध छिड़ा, तो बीते नवंबर से हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से होकर जाने वाले जहाजों को लूटना शुरू कर दिया। वे ऐसा फिलिस्तीनियों के समर्थन में कर रहे हैं।

जो भी मालवाहक या नौसैनिक जहाज गजा पट्टी की ओर जाता हुआ दिखाई देता है या इजराइल समर्थक देशों का जहाज उधर से गुजरता है, उस पर हमला करके उसे लूटने की कोशिश हूती विद्रोही करते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन इन विद्रोहियों को वहां से भगाने की बराबर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पूरी सफलता नहीं मिल रही है। अमेरिका, भारत, ब्रिटेन सहित तमाम विकसित और विकासशील देशों की चिंता यह है कि दुनिया का 80 प्रतिशत व्यापार समुद्री रास्तों से ही होता है। यदि कालासागर, अरब सागर आदि में इसी तरह बाधाएं आती रहीं, तो इसका प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है। चूंकि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ग्लोबल है, इसलिए यदि किसी एक देश पर संकट आता है, तो उसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ता है।

समुद्र के रास्ते होने वाले व्यापार को प्रभावित करने की हूती विद्रोहियों की ताकत यमन की भौगोलिक स्थिति से आती है। 2014 से यमन के बड़े हिस्से पर ईरान के समर्थन वाले हूती विद्रोहियों का कब्जा है। इनमें राजधानी सना, देश के उत्तरी हिस्से और लाल सागर के तट से सटी सीमा शामिल है। यूरोप को एशिया से जोड़ने वाला सबसे छोटा समुद्री रास्ता अरब सागर से होते हुए, अदन की खाड़ी और फिर बाब अल-मन्दाब से होते हुए लाल सागर और फिर स्वेज नहर को जोड़ता है।

इस कारण उनके लिए बाब अल-मन्दाब की खाड़ी के आसपास से गुजरने वाले जहाजों पर हमले करना आसान है। यही वजह है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशो को हूती विद्रोहियों से निपटने में पूरी सफलता नहीं मिल रही है। यदि इन पर जल्दी काबू नहीं पाया गया, तो लाल सागर के रास्ते से होने वाला समुद्री कारोबार प्रभावित होगा। वैसे हूती विद्रोहियों ने पिछले कुछ सालों से अपने को बहुत मजबूत कर लिया है। उनके पास मिसाइलों सहित कई तरह के घातक हथियार हैं जिसका वे गाहे-बगाहे उपयोग करते रहते हैं।

-संजय मग्गू

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