Saturday, December 21, 2024
15.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiवाह! हरियाणा प्रति व्यक्ति आय में अव्वल और गरीबी में भी

वाह! हरियाणा प्रति व्यक्ति आय में अव्वल और गरीबी में भी

Google News
Google News

- Advertisement -

संजय मग्गू
‘दूध दही का खाणा यह मेरा हरियाणा’ जैसी कहावत को बड़े गर्व से पूरी दुनिया को बताने वाला प्रदेश हरियाणा प्राचीन काल से ही धन और धान्य से भरपूर रहा है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक हरियाणा ने अपनी खेती से देश के कई प्रांतों में रहने वाले लोगों का पेट भरा है। हरित क्रांति के दौरान भी हरियाणा ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अन्न उत्पादन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। लेकिन अभी हाल में दो परस्पर विरोधी आंकड़े सामने आए हैं जो चकित करते हैं। राज्य के उपभोक्ता एवं आपूर्ति मामले के मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़े के अनुसार हरियाणा की जनसंख्या लगभग 2.80 करोड़ है। इसमें से 1.98 करोड़ लोग गरीबी की सीमा रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन वहीं सन 2023 में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय तीन लाख रुपये है। यह राष्ट्रीय औसत से भी थोड़ा ज्यादा है। इस हिसाब से तो हरियाणा सिर्फ कर्नाटक से मामूली अंतर से पिछड़ रहा है। कर्नाटक में प्रति व्यक्ति आय तीन लाख रुपये है, वहीं हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय 2,98,592 है। प्रदेश सरकार ने बीपीएल यानी गरीबी की सीमा रेखा 1.80 हजार तय कर रखी है। फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि जब प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय तीन लाख के आसपास हो और 70-71 प्रतिशत जनता गरीब भी हो। प्रदेश की सत्तर फीसदी जनता केंद्र सरकार द्वारा जन वितरण प्रणाली के माध्यम से दी जा रही पांच किलो चावल सुविधा का लाभ उठा रही है। अन्य खाद्यान्न पर मिलने वाली छूट भी ले रही है। मिले आंकड़े के मुताबिक, विधानसभा चुनाव से पहले ही लगभग सत्तर लाख लोग नए कार्ड धारकों में शामिल हुए हैं। असल में प्रदेश या केंद्र सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से जुड़ने के लिए परिवार पहचान पत्र को ही मुख्य आधार माना गया है। इसमें अपनी आय को पीपीपी बनवाने वाला स्व प्रमाणित करता है कि उसकी घरेलू वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से कम है। सरकार उसके सेल्फ डिक्लरेशन को ही मान लेती है। इसका नतीजा यह हुआ कि जिसकी आय तीन लाख या उससे अधिक है, वह परिवार पहचान पत्र में अपनी आय कम ही दिखाता है। वास्तविक आय बताने से उसे नुकसान ही दिखाई देता है। यही वजह है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में अव्वल होने के बावजूद प्रदेश की सत्तर फीसदी आबादी गरीब दिख रही है। यदि सरकार पीपीपी वालों की आय का कड़ाई से सत्यापन करे, तो सारी हकीकत सामने आ जाएगी। यदि वास्तविक आंकड़े सरकार के पास मौजूद हों तो सरकार गरीबों के लिए संचालित योजनाओं को अच्छी तरह से चला पाएगी और जो वास्तव में जरूरतमंद हैं, उन तक सरकारी लाभ अच्छी तरह से पहुंच पाएगा।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

आज ही के दिन पियरे और मैरी क्यूरी ने की थी रेडियम की खोज

इतिहास में 21 दिसंबर का दिन विज्ञान जगत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वर्ष 1898 में, इस दिन पियरे और मैरी क्यूरी ने रेडियम...

तो अब पूरी तरह बिहार सरकार की हो गई बेतिया राज की जमीन, जानें कहां थी कितनी जमीनें

Bettiah Raj: बिहार सरकार ने बेतिया राज की 15,358 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया है। इसके लिए हाल ही में राजपत्र अधिसूचना जारी...

modi meditation:प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (modi meditation:)को लोगों से ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि यह जीवन...

Recent Comments