व्यापारी बनकर आए अंग्रेजों ने हमारे देश के लोगों पर बहुत जुल्म किए। शुरुआत में उन्होंने यहां व्यापार करने की इजाजत मांगी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने यहां के राजाओं के आपसी कलह के चलते अपनी स्थिति मजबूत कर ली। यही नहीं, उन्होंने अपनी सेनाएं भी बना ली। बांटो और राज करो की मजबूत नीति अपनाकर उन्होंने हमारे देश को कंगाल बना डाला। यहां से कच्चा माल इंग्लैंड ले जाकर वहां से बना माल लाकर बेचते थे। इस तरह अंग्रेजों को दोहरा फायदा होता था।
जब अंग्रेजों का शासन बंगाल में कायम हुआ, तो उन्होंने हुगली नदी पर मछलियां पकड़ने पर टैक्स लगा दिया। बात यह थी कि मछुआरों के मछलियां पकड़ने से हुगली नदी से जाने वाले मालवाहक जवानों को रुकना पड़Þता था। इससे समय और ईंधन का नुकसान होता था। मछुआरों ने इस टैक्स के खिलाफ कई जगह गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। यह बात सन 1840 के आसपास की है। उन्हीं दिनों रासमणि की शादी कलकत्ता के रामचंद्र दास से हुई थी।
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रासमणि का जन्म 24 परगना जिले के एक मछुआरे के घर में हुआ था। उन्हें रानी रासमणि कहा जाता था। जब लोग उनके पास अपनी गुहार लेकर पहुंचे, तो उन्होंने अंग्रेजों से एक डील की और दस हजार रुपये में हुगली नदी का दस किमी का हिस्सा पट्टे पर ले लिया। उन्होंने अपने वाले हिस्से को लोहे की जाली से घेर लिया। अब उधर जाने वाले माल वाहक जहाज उस बाड़ में फंसने लगे। तब अंग्रेजों की समझ में सारा मामला आया। उन्होंने रानी रासमणि से बहुत विनती की कि वह डील को कैंसल कर दें, लेकिन उन्होंने अंग्रेजों की बात नहीं मानी। आखिरकार अंग्रेजों को हुगली नदी में मछली पकड़ने पर लगाया गया टैक्स वापस लेना पड़ा।
-अशोेक मिश्र
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