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सख्ती के बावजूद क्यों नहीं रुक रही पराली जलाने की घटनाएं?

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संजय मग्गू
प्रदूषण को लेकर सुप्रीमकोर्ट काफी चिंतित है। कुछ दिनों पहले भी सुप्रीमकोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को जमकर फटकार लगाई थी। कल भी सुनवाई के दौरान वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी सीएक्यूएम से पूछा कि राज्यों में आपके आदेश का पालन क्यों नहीं हो रहा है। पराली जलाने से किसान बाज क्यों नहीं आ रहे हैं? प्रदेश सरकारें पराली जलाने पर पकड़े जाने वाले किसान से मामूली जुर्माना वसूल कर उन्हें छोड़ देती हैं। जब तक पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं बंद नहीं होंगी, तब तक दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार नहीं होगाा। इन दिनों दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक काफी हद तक बेहद खराब वाली स्थिति को दर्शा रहा है। एक महीने बाद दिवाली है। उस दौरान भी लाख सख्ती और निषेध के बावजूद लोग प्रदूषण पैदा करने वाले पटाखे जलाने से बाज नहीं आने वाले हैं। दीपावली पर पटाखे जलाने की परंपरा पूरी तरह गलत है। दीपावली प्रकाश का उत्सव है। हमें ज्ञान रूपी प्रकाश करके अपने देश को सुखमय बनाना चाहिए, न कि प्रदूषण पैदा करके अपने देश और प्रदेश वालों को रोगी। पिछले कुछ सालों से दिल्ली और उसके आसपास का इलाका सर्दियों में गैस चैंबर की तरह हो जाता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक चार सौ या साढ़े चार सौ से ऊपर पहुंच जाता है। यह बेहद खतरनाक स्थिति है। ऐसी स्थिति में बुजुर्गों और बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को काफी तकलीफ हो जाती है। सांस के रोगियों को सांस लेने में तकलीफ होती है। कई लोगों की हर साल इसकी वजह से अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों से सुप्रीमकोर्ट वायु प्रदूषण को लेकर काफी सख्त आदेश दे चुका है। लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने पराली पर सब्सिडी और उसके उपयोग को निश्चित करने के लिए किसानों को उपयोग केंद्र तक लाने के लिए पैसे देने की भी बात कही है, इसके बावजूद किसान पराली को खेत में ही जला देने से बाज नहीं आ रहे हैं। दरअसल, देश में वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली ही जिम्मेदार नहीं है। चार-पांच साल पहले सुप्रीम कोर्ट में ही पेश किए गए आंकड़ों से साबित हुआ था कि पराली जलाने से सिर्फ आठ से दस फीसदी प्रदूषण होता है। बाकी प्रदूषण के लिए बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, डीजल और पेट्रोल चालित वाहन, घरों, कार्यालयों में लगे एसी सबसे ज्यादा प्रदूषण पैदा करते हैं। यदि इन पर लगाम लगाई जाए, तो वायु प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है। यदि हम आक्सीजन उगाना शुरू कर दें, तो हालात सुधर सकते हैं। हम हर खाली जमीन पर पीपल, पाकड़, आम आदि जैसे पेड़ों को उगाएं, इससे प्रदूषण रुकेगा।

संजय मग्गू

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