संजय मग्गू
फरीदाबाद में स्वास्थ्य विभाग ने पिछले छह महीने में साढ़े छह हजार गर्भवती महिलाओं की जांच की। इनमें से 1960 महिलाएं उच्च रक्तचाप और रक्त की कमी से पीड़ित पाई गईं। फरीदाबाद की लगभग तीस प्रतिशत गर्भवती महिलाएं इन बीमारियों की शिकार हैं। यह आंकड़ा तो सिर्फएक जिले का है। यदि पूरे प्रदेश की बात करें, यह आंकड़ा काफी बड़ा है। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल जैसे राज्यों में इन बीमारियों से पीड़ित महिलाओं की संख्या कम नहीं है। हां, इनमें सबसे आगे हरियाणा है। पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा की 60.4 प्रतिशत महिलाएं जिसमें किशोरियां, गर्भवती और सामान्य महिलाएं शामिल हैं, एनीमिया की शिकार थीं। वर्ष 2024 में महिलाओं में एनीमिया के मामले में देश भर में हरियाणा 11वें नंबर पर था। यह स्थिति काफी चिंताजनक है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्भवती महिलाओं की प्रदेश में क्या स्थिति हो सकती है। वैसे तो केंद्र सरकार के सहयोग से सैनी सरकार लगातार इस मामले में स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। पूरे प्रदेश में प्रधानमंत्री मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को तमाम बीमारियों से बचाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए महीने में तीन बार हर जिले में शिविर लगाए जाते हैं। प्रदेश सरकार की कोशिश यही रहती है कि यह शिविर उन क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लगाए जाएं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से नहीं पहुंच पाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर की झुग्गी झोपड़ियों के आसपास शिविर लगाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं का रक्तचाप बढ़ने का कारण यह है कि वह अपनी गर्भावस्था को लेकर काफी चिंतित रहती हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप और एनीमिया की दवाएं महिलाओं को उचित समय पर मिल जाएं, तो मातृ और शिशु मृत्यु दर को काफी हद तक घटाया सकता है। हरियाणा में मातृ एवं शिशु दर बहुत घट गई है जिसके लिए प्रदेश सरकार बधाई की पात्र है। इस सफलता के पीछे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना, एकीकृत बाल विकास सेवा योजना और प्रदेश में चल रही अन्य कल्याणकारी योजनाओं की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इन योजनाओं के माध्यम से प्रदेश सरकार ने महिलाओं को उच्च गुणवत्ता का पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया। इसके बावजूद अभी इस मामले में बहुत कुछ करने की जरूरत है। किशोरियों, महिलाओं और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का सबसे बड़ा कारण उनकी गरीबी है। आय कम होने के कारण वह पौष्टिक आहार नहीं ले पाती हैं। कई घरों में महिलाएं अपने बच्चों और अन्य सदस्यों को भोजन कराने के बाद बचा खुचा भोजन करती हैं जिससे उन्हें एनीमिया जैसे बीमारियों से जूझना पड़ता है।
गरीबी से जूझती महिलाएं कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ख्याल?
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