कहते हैं कि इंसान की खोपड़ी का कोई जवाब नहीं है। प्रकृति की सबसे सुंदर रचना है इंसान। इंसान में सबसे अजूबी चीज है उसकी खोपड़ी यानी दिमाग। यदि दिमाग का सही इस्तेमाल किया जाए, तो व्यक्ति महान बन सकता है। गांधी बन सकता है, सुभाष बन सकता है, दधीचि बन सकता है। लेकिन यदि गलत इस्तेमाल किया जाए, तो हिटलर, मुसोलिनी जैसा तानाशाह बन सकता है। हत्यारा, बलात्कारी और न जाने कितने अवगुणों से लैस हो सकता है। वह अपने ही भाई-बहन का हत्यारा हो सकता है। इंसान की खोपड़ी यानी दिमाग को लेकर एक बहुत ही रोचक किस्सा कहा जाता है।
कहा जाता है कि जब सिकंदर भारत की सीमा पर पहुंचा, तो उसने सुन रखा था कि यहां के योगी कुछ भी कर सकते हैं। तो उसने एक योगी की खूब सेवा की। योगी समझ गए कि यह मुझसे कुछ चाहता है। एक दिन उन्होंने उससे पूछ ही लिया कि तुम मुझसे क्या चाहते हो? सिकंदर ने उस योगी के पैर पकड़ते हुए कहा कि मैं पूरी दुनिया का शासक बनना चाहता हूं। आप कृपा कर दें, तो मैं बन जाऊंगा। यह सुनकर योगी मुस्कुराए और बोले, मैं तुम्हें पूरी दुनिया का शासक बना दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है। तुम्हें मेरे इस कमंडल को अनाज से भरना होगा।
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यह सुनकर सिकंदर हंसा और बोला, यह कमंडल अनाज क्या हीरे जवाहरात से भर देता हूं। इतना कहकर उसने उस कमंडल में हीरे-जवाहरात, सोना चांदी भरना शुरू किया, लेकिन उसका सारा खजाना खाली हो गया, लेकिन वह कमंडल नहीं भरा। सिकंदर आश्चर्य चकित हो गया। तब योगी ने कहा कि यह इंसान की खोपड़ी है, इसमें पूरी दुनिया समा जाएगी, लेकिन यह भरेगी नहीं। दुनिया इंसान को कोई संतुष्ट नहीं कर पाया है। यह सुनकर सिकंदर सारा घमंड टूट गया।
-अशोक मिश्र
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