देश रोज़ाना: सन 1978 में पूरे देश में एक नारा गूंजता था, एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर, चिकमंगलूर। बात दरअसल यह थी कि आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस हार चुकी थी। इंदिरा गांधी के खिलाफ पूरे देश में हवा थी। तब इंदिरा गांधी ने कर्नाटक के चिकमंगलूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। अब राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा हो रही है कि इंदिरा गांधी की प्रति छाया कही जाने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा 2024 लोकसभा चुनाव में चिकमंगलूर से चुनाव लड़ सकती हैं। कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश प्रभारी के पद से हटाने के पीछे यह भी कारण हो सकता है। अगर राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने के बाद प्रियंका गांधी कोई कमाल नहीं दिखा पाईं। उनके कार्यकाल में चार चुनाव हुए और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत जस की तस रही।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस में उनकी कार्यशैली को लेकर भी असंतोष रहा। कांग्रेस में ही उनके आलोचक तो यह भी कहने से नहीं चूकते हैं कि वह ड्राइंगरूम पालिटिक्स करती हैं। न कभी पार्टी को उत्तर प्रदेश में संघर्ष के लिए उतारा और न ही खुद संघर्ष में उतरीं। अब तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ी हैं। जो आदमी खुद चुनाव नहीं लड़ा हो, चुनाव लड़ने का कोई अनुभव न हो, वह दूसरों को चुनाव जिता सकता है, इसकी संभावना बहुत कम होती है। वैसे तो वर्ष 2022 में ही प्रियंका ने उत्तर प्रदेश प्रभारी के पद से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन उसको स्वीकार अब किया गया है। कुछ लोग मानते हैं कि प्रियंका की छवि बचाने के लिए ऐसा किया गया है और अविनाश पांडेय को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। कुछ लोगों का कहना है कि अब उन्हें चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। अब सवाल यह है कि उन्हें कहां से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
वैसे रायबरेली और अमेठी में जब भी चुनाव होते थे, प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के साथ चुनाव प्रचार में दोनों जगहों पर जाती थीं। लेकिन उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की हवा के आगे टिक पाना बहुत मुश्किल दिख रहा है। सच तो यह है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास अपनी उपलब्धियां बताने को कुछ तो है, लेकिन प्रियंका के मामले में सब कुछ शून्य है। राहुल गांधी ने एक लंबी पदयात्रा की है।
सोनिया गांधी ने मनरेगा, राइट टू इंफारमेशन, राइट टू एजुकेशन जैसे महत्वपूर्ण कानून बनवाया। ऐसे में यदि प्रियंका को चुनाव जीतने के लिए दक्षिण की ओर रुख करना होगा। और वह सबसे सुरक्षित जगह कर्नाटक के चिकमंगलूर से बेहतर कोई दूसरा नहीं हो सकता है। तमाम विषम परिस्थितियों में भी कर्नाटक का चिकमंगलूर लोकसभा सीट गांधी परिवार के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता उनको वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की वकालत कर रहे हैं, लेकिन यहां चुनाव लड़ना प्रियंका के लिए आत्मघाती कदम हो सकता है। यह बात राजनीति का ककहरा सीखने वाला भी जानता है।
- संजय मग्गू