कैलाश शर्मा
दोस्ती जिंदगी का सबसे खूबसूरत रिश्ता है। वे लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं जिनको सच्चे, अच्छे और सुख दु:ख में साथ देने वाले दोस्त मिलते हैं। सच्चा दोस्त वही जो सच जानकर सच का साथ दें। दुर्गुणों से हमेशा दूर रखने का प्रयास करे। सच से आशिकी करना बहुत बड़ी बात है। जो लोग यह जानते हुए भी कि सच क्या है, उसको बोलने की जगह चुप रहते हैं, सच बोलने की हिम्मत नहीं करते हैं, वे सच्चे और अच्छे दोस्त, शुभचिंतक हो ही नहीं सकते हैं। उनसे जितनी जल्दी हो सके छुटकारा पा लेना चाहिए। आज सच बोलने वाले, सही जीवन जीने वाले ईमानदार इंसान को पसंद नहीं किया जाता है। उसके अपने खास लोग भी उससे किनारा करने लगते हैं। कभी-कभी तो ऐसे इंसान का मन भी कहने लगता है कि छोड़ ऐसी सच्चाई व ईमानदारी जिससे अपने ही नाराज हो रहे हैं लेकिन सत्य के मार्ग पर चलने पर अडिग जो पुरुष अपने मन के इस विरोध को सहकर इस पर काबू पा लेता है वही सच्चा इंसान कहलाता है और परम सत्य तक पहुँच पाता है।
चूँकि अधिकतर लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं, वो मन के कहने पर ही जिन्दगी जीते हैं। सच छुपाना भी, झूठ बोलने के समान होता है। सच बोलने के लिए व्यक्ति के हृदय में हौसला होना चाहिए। सच बोलना, सच के साथ खड़े रहना आज के समय में बड़े साहस का काम है। ऐसे बहुत कम लोग रह गये हैं, जो सच से मोहब्बत करते हैं। सच हमेशा कड़वा इसलिए होता है कि सच को सुनने की क्षमता हर किसी में नहीं हो सकती है। सच के पंख नहीं होते है जो उड़ जाए बल्कि सच तो स्थिर प्रवृति का होता है। सच शुद्ध दूध की तरह होता है जबकि झूठ पानी की तरह होता है हर जगह उसी हिसाब से घुल मिल जाता है।
सत्य बोलने से मन को बहुत शांति मिलती है, मन हल्का होता है, सच बोलने के बहुत फायदे होते हैं। लेकिन कई बार नुकसान होता हुआ दिखता है, लेकिन अंतत: सच बोलने पर नुकसान नहीं होता है। सच बोलने की आदत से उच्च स्तर का जीवन जीने में मदद मिलती है, मनुष्य के जीवन में परेशानियां और क्लेश दूर होने लगते हैं। सत्य बोलने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं। सत्यवादी को हमेशा भगवान की कृपा हासिल होती है। जो मनुष्य हमेशा सच बोलता है वह औरों से ज्यादा समय तक जीता है। ऐसा हमारे पुरखों ने अपने ग्रंथों में लिखा है। ऐसे मनुष्य को न तो किसी बात का भय होता है और न ही लालच। उस पर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है। झूठ बोलने की आदत, बात-बात पर छल-कपट करने की आदत जीवन में दु:खों का कारण बनती है। ऐसा व्यक्ति हमेश दुखी रहता है। उसकी उन्नति भी नहीं होती है। जो मनुष्य हमेशा ही सच का साथ देता है, उसका जीवन सुख से भरा होता है। प्रसन्नता और सुख-समृद्धि उसके आगे पीछे डोलती है। ऐसे मनुष्य के जीवन में परेशानियां और क्लेश के लिए कोई जगह नहीं होती।
सरल व्यक्ति अपनी सारी परेशानियों का हल बिना कोई छल कपट किए आसानी से पा लेता है। ऐसा मनुष्य जीवन में सुख के साथ-साथ मान-सम्मान भी पाता है। लोग उसको पसंद भी करते हैं, इसलिए हर किसी को सच बोलने की आदत को अपनानी चाहिए। सच परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित कभी नहीं होता है। सच बोलने से दिल का बोझ हल्का हो जाता है। सत्य बोलने और सुनने की क्षमता हर किसी में नहीं होती। सत्य हमेशा कड़वा होता है। सच बोलने वाले व स्पष्टवादी लोगों को आज पसंद नहीं किया जाता, लेकिन इस बात से डरना कभी नहीं चाहिए। झूठ और झूठे लोगों के पैर नहीं होते हैं, शुरू में वे जरूर कामयाब होते दिखते हैं, लेकिन बाद में जब उनकी सच्चाई पता चलती है तो लोग उनसे किनारा करने लगते हैं और लोग सच बोलने वालों व स्पष्टवादी लोगों को ही समाज के लोग पसंद करते हैं। जीवन में कैसी भी परिस्थिति आए हमेशा सच्चाई के साथ ही रहना चाहिए। हमेशा ऐसी सोच रखनी चाहिए कि हम तो सच ही बोलेंगे, सच बोलने से क्या डरना। ऐसा करने से जिन्हें मेरे साथ रहना है रहें, नहीं रहना है न रहे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
जी चाहता है सच बोलें, पर नहीं जुटा पाते हौसला!
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