संजय मग्गू जिनका जन्म 21 मई 1975 को पलवल (हरियाणा) के टोला मोहल्ला में जंगेश्वर महादेव मंदिर के निकट हुआ, ने जीवन में अनेक संघर्षों का सामना किया है। उनके पिता स्व. श्री काशी राम मग्गू और माता स्व. श्रीमती कृष्णा देवी का सान्निध्य उन्हें जीवन के कठिनाइयों से जूझने की प्रेरणा देता रहा है।संजय मग्गू की नई किताब “स्त्री, युद्ध और समाज” जल्द ही प्रकाशित होने जा रही है। इस किताब में उन्होंने स्त्रियों की भूमिका को युद्ध और समाज के संदर्भ में गहराई से प्रस्तुत किया है। संजय मग्गू, जो एक प्रसिद्ध पत्रकार हैं, अपने लेखन के जरिए सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं। पाठकों को उम्मीद है कि यह किताब न केवल ज्ञानवर्धक होगी, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति पर भी सोचने को मजबूर करेगी। “स्त्री, युद्ध और समाज” का विमोचन एक विशेष कार्यक्रम में किया जाएगा, किताब को प्रकाशित किया जा रहा है स्वतंत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली द्वारा।
संघर्ष की कहानियां
संजय के परिवार की कहानियों में भारत-पाकिस्तान विभाजन का दर्द झलकता है। उनके ताऊ स्व. श्री राम रंग मग्गू और अन्य बुजुर्गों से सुनाई गई कहानियां ने उन्हें यह सिखाया कि कैसे संकट के समय में जीवन को जीना है। इस अनुभव ने उनके हृदय में दया और सहानुभूति की भावना को और मजबूत किया।
पत्रकारिता का सफर
प्रारंभिक प्रेरणा
संजय ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता में की। राजनीति में कदम रखने का उनका सपना एक चुनावी हार के बाद बदल गया। पार्षद के चुनाव में हारने के बाद उन्होंने पत्रकारिता को अपने हथियार के रूप में चुना। उनका मानना था कि यदि पत्रकारिता के क्षेत्र में व्याप्त गंदगी को समाप्त करना है, तो उसमें शामिल होना होगा।
पंजाब केसरी से यात्रा
संजय को पंजाब केसरी (दिल्ली) से जुड़ने का मौका मिला, जहां उन्होंने दस वर्षों तक रिपोर्टिंग की। उनकी भाषा पर पकड़ और समाचारों की गहरी समझ ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की। इसके बाद वह कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में काम करते रहे, जैसे अमर उजालाऔर दैनिक जागरण।
नए आयाम की खोज
राष्ट्रप्रहरी मल्टी मीडिया प्राइवेट कंपनी
2021 में संजय ने एक नया वेंचर शुरू किया—’राष्ट्रप्रहरी मल्टी मीडिया प्राइवेट कंपनी’। 26 सितंबर 2021 को उन्होंने ‘देश रोजाना’ नामक दैनिक समाचार पत्र और यूट्यूब चैनल लांच किया। इस प्रयास ने उन्हें समाज की सच्चाइयों को उजागर करने का एक नया मंच दिया।
2 जुलाई 2023 को संजय ने ‘रेडियो रोज़ाना’ का शुभारंभ किया, जिसने उनके प्रयासों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। यह कदम उनके लिए एक नई उपलब्धि थी और इससे उनके संकल्प को और मजबूती मिली।
आभार
संजय मग्गू ने अपने जीवन में जिन लोगों का सहयोग प्राप्त किया, उनका आभार व्यक्त किया है। विशेषकर, संपादक अशोक मिश्र, साथी राजीव कात्याल और अरुण मग्गू के योगदान को उन्होंने सराहा। उनकी जीवन संगिनी नीता मग्गू का समर्थन उनके लिए एक अमूल्य सहारा रहा है। संजय का मानना है कि उनके परिवार का सहयोग हमेशा उन्हें प्रेरित करता रहा है।
संजय मग्गू का जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्ष के बीच भी उम्मीद की किरण बनी रहती है। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान ने समाज के लिए एक नई दिशा प्रस्तुत की है। उनके द्वारा स्थापित मंच आज समाज के दबे-कुचले वर्ग की आवाज बन चुका है। संजय का संघर्ष और समर्पण न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाता है कि सही दिशा में किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता।