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मॉब लिंचिंग केस में चार को सात साल की सजा

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फिरोजपुर झिरका (नूंह)। अलवर के ललावंडी गांव में कथित गोरक्षकों द्वारा कोलगांव के रहने वाले रकबर की पीट-पीटकर हत्या कर देने के मामले में अदालत ने मामले से जुड़े चार दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। अदालत ने इसके साथ ही दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मामले से जुड़े एक आरोपी को अदालत ने संदेह का लाभ देकर सभी धाराओं से बरी कर दिया। अदालत ने इस मामले को मॉब लिंचिंग नहीं माना, बल्कि अदालत ने इसे केवल कुछ लोगों द्वारा कानून हाथ में लेने का मामला माना। उधर रकबर की पत्नी असमीना ने अदालत के फैसले पर नाराजगी जताते हुए तथा इसे चुनौती देने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट जाने की बात कही है।


बता दें कि 20 व 21 जुलाई 2018 की रात को रकबर और उसका साथी असलम राजस्थान से दुधारु मवेशी लेकर आ रहे थे। इसी बीच वो जब रामगढ़ थाना क्षेत्र के गांव ललावंडी पहुंचे तो यहां उन्हें लोगों की भीड़ ने घेर लिया और दोनों की पीटाई शुरू कर दी। असलम किसी तरह दोषियों के चंगुल से भाग निकला जबकि रकबर को लोगों की भीड़ ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। शुरूआत में इसे मॉब लिंचिंग कहा गया जिसको लेकर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इस मामले की गूंज सुनने को मिली थी। करीब पांच साल से अलवर की अदालत में चल रहे इस मामले में पुलिस द्वारा धमेन्द्र, नरेश, विजय कुमार, परमजीत तथा नवल किशोर को आरोपी बनाया गया था।
बृहस्पतिवार को अलवर की अदालत में इस संदर्भ में निर्णायक फैसला आया। अदालत ने आरोपी धमेन्द्र, नरेश, विजय कुमार और परमजीत को धारा 341 व 304 पार्ट एक के तहत दोषी ठहराते हुए उन्हें सजा सुनाई। पीड़ित पक्ष के वकील अखतर हुसैन, मानव अधिकार कार्यकर्ता असद हयात और रकबर की पत्नी असमीना ने कहा रकबर की हत्या एक षडयंत्र के तहत हुई जो मॉब द्वारा की गई थी। उन्होंने कहा अदालत ने इसे मॉब लिंचिंग मामने से इनकार कर दिया। यह फैसल उचित नहीं है इसके खिलाफ हमारे द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि रकबर को गोतस्करी के शक में मॉब द्वारा एकत्रित होकर पीटा गया था जिसके बाद उसकी कुछ घंटों के बाद मौत हो गई थी।

इंसाफ की उम्मीद लिए बैठा है रकबर का परिवार
करीब पांच साल पहले कथित गोरक्षकों की एक मॉब द्वारा रकबर की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के बाद से रकबर के परिवार को आज भी इंसाफ की उम्मीद है। रकबर के सात बच्चे हैं जिनकी परवरिश उसकी मां पर है। अभागन मां की तीन साल पहले एक हादसे के दौरान रीढ की हड्डी ढूट गई थी। अब वो बिस्तर पर है। रकबर के परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। उसके बच्चे अब गरीबी और मुफलिसी के आंगन में इंसाफ की उम्मीद इसलिए किए बैठे हैं आखिर कभी तो उन्हें इंसाफ मिलेगा।

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