कहीं पर लोग पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं तो कहीं पर लोग पानी को व्यर्थ में बर्बाद कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी बचाने व पानी के महत्व के बारे में जागरूकता नहीं होने के कारण पानी की बबार्दी की जा रही है। सूबे में गिरते भूजल स्तर को लेकर सामाजिक संगठनों से लेकर सरकारी स्तर पर भी जल संचयन और प्रबंधन पर फोकस किया जा रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर लोगों में इसका असर व्यवहार में नहीं दिख रहा।
एक ओर सरकार गांवों में पेयजल बर्बादी करने वालों पर नकेल कसने की बात कह रही है वहीं दूसरी ओर पानी बचाने को लेकर न तो सरकार और न ही सरकारी कर्मचारी इस ओर ध्यान दे रहे हैं। सरकार द्वारा जगह-जगह जल है तो कल है, जल ही जीवन है, जल हमारी अमूल्य निधि है जैसे स्लोगन लिखकर लोगो को पानी बचाने के लिए जागरूक कर रही है। फिर भी कुछ लोग समर्सिबल चलाकर घंटों सड़क पर पानी का छिड़काव कर रोजाना हजारों लीटर बर्बाद कर देते हैं। सरकारी संस्थाओं में भी नल में टूटी नहीं होने के कारण पानी बर्बाद हो रहा है।
जल के बिना जीवन नहीं है। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए जल को बचाकर रखा था। हमें भी आने वाली पीढ़ी के लिए जल का सरंक्षण करना चाहिए तथा सामाजिक संस्थाओं को लोगों को जल बचाने के लिए लोगो मे जागरूकता लानी चाहिए ।
–हेमन्त शर्मा, प्रोफेसर, मां ओमवती कॉलेज, हसनपुर
जल को बचाना हम सब लोगों का कर्तव्य है। सरकार के द्वारा बड़े स्तर पर जल बचाओ अभियान चलाना चाहिए तथा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को जल बचाने के लिए जागरूक करना चाहिए ।
–राजेन्द्र गुप्ता, प्रधान, समर्पण सेवा संस्था, हसनपुर
जल हमारी प्राकृतिक संपदा है। जल संरक्षण करना हर मनुष्य की जिम्मेदारी बनती है। हमें जल की व्यर्थ बबार्दी नहीं करनी चाहिए ।
— सतबीर पहलवान, निवासी जटोली