देश रोज़ाना: हरियाणा के हिसार जिले में आज विश्नोई पंत के गुरु जंभेश्वर का जन्मोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। बता दें यह विश्नोई पंत के गुरु जंभेश्वर भगवान का 573 वां जन्म महोत्सव है। आज से 500 वर्ष पहले गुरु जांभोजी ने विश्नोई पंत की स्थापना की थी। वह अपने जीवन के 7 साल किसी से कुछ नहीं बोले थे।
27 साल की उम्र तक उन्होंने गोपालन किया। उनका मानना था कि हरे वृक्षों को काटना, जीवो की हत्या करना पाप है। इसके साथ ही वह सभी लोगों को वृक्षों की सेवा करने का संदेश देते थे और साथ ही शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करने का संदेश देते थे।
बिश्नोई समाज में ऐसा माना जाता है कि जहां बिश्नोई समाज के लोग रहते हैं वहां हिरण, मोर, काले तीतर के झुंड आदि मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन सभी जीवो की रक्षा के लिए पंत ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी इसीलिए बिश्नोई समाज को प्रह्लादपंति कहा जाता है।
बिश्नोई समाज के नियम
बिश्नोई समाज के कुछ नियम है जिन्हें आज हम बताने वाले हैं। विश्नोई समाज के लोग 30 दिन सूतक रखते है। महिलाओं को माहवारी के समय 5 दिन तक काम ना करना, हर दिन स्नान करना, शील का पालन करना व संतोष रखना। आंतरिक पवित्रता रखना, उपासना करना, संध्या समय आरती और हरी गुण करना, निष्ठा और प्रेम पूर्वक रहना, अपनी ईंधन, दूध को छानकर प्रयोग करना, सोच समझ कर बोलना, वृक्ष नहीं काटना, चोरी नहीं करनी, निंदा नहीं करनी, झूठ नहीं बोलना, अमावस्या का व्रत रखना, भगवान विष्णु का भजन करना, यह सभी बिश्नोई समाज के नियम है।