राजेशदास, देश रोजाना
फरीदाबाद। आमतौर पर फरीदाबाद जिले से गुजरने वाली यमुना नदी अक्सर सुखी ही दिखाई देती है। पानी के नाम पर यमुना में सीवरयुक्त काला पानी ही देखने को मिलता है। बरसात के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने पर साफ पानी नजर आता है। लेकिन इस बार बरसात में 45 वर्षो के बाद यमुना नदी का विकराल रूप देखने को मिल रहा है। इससे पहले फरीदाबाद जिले में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने पर वर्ष 1978 में बाढ़ आई थी। उस समय भी तटवर्ती इलाकों में बसे गांवों में रहने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार यमुना नदी के किनारे स्थित गांवों और कालोनियों में स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। यदि इसी तरह से यमुना का जलस्तर बढ़ता रहा तो पानी को शहर में घुसने में समय नहीं लगेगा। जिला प्रशासन ने जलमग्न हो चुके इलाकों में रहने वाले लोगों को राहत देने के लिए जगह जगह शिविर लगाए हैं। जहां बाढ़ पीड़ितों के रहने और भोजन की व्यवस्था की गई है। लेकिन बाढ़ प्रभावित लोग प्रशासन द्वारा किए गए इंतजामों को नाकाफी बता रहे हैं।
हजारों एकड़ फसल हो चुकी है बर्बाद
यमुना नदी के किनारे बेशक अनेक वैध अवैध कालोनियां बस चुकी हैं। लेकिन इसके बावजूद तटवर्ती इलाकों के गांवों में हजारों एकड़ जमीन पर लगातार खेतीबाड़ी का काम किया जाता है। यमुना नदी के तटवर्ती इलाकों में यूं तो धान, सरसों, गेंहू और अन्य फसलों के साथ सबसे ज्यादा सब्जियों की खेतीबाड़ी की जाती है। जिनमें सबसे ज्यादा बेल वाली सब्जियां शामिल होती है। यमुना नदी के तटवर्ती इलाकों में पैदा होने वाली सब्जियां दिल्ली एनसीआर के साथ साथ अन्य शहरों में भी बड़े पैमाने पर भेजी जाती है। बाढ़ के पानी में सबसे ज्यादा सब्जियों की फसल जलमग्न हुई है। सब्जियों के दाम पहले ही आसमान छू रहे हैं। ऐसे में अब सब्जियों की फसल बर्बाद होने से महंगाई और बढ़ सकती है।
बांध में कटाव से ग्रामीणों में बढ़ी चिंता
हथकुंड बैराज से लगातार यमुना नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। जिससे यमुना नदी का जलस्तर पिछले कई दिनों से लगातार बढ़ता जा रहा है। बृहस्पतिवार को यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। जिले के कई गांवों में नदी के पानी को रोकने के लिए बनाए गए बांधों के लेबल तक पानी पहुंच चुका है। यमुना किनारे स्थित ददसिया गांव के बांध पर पानी बजह से कटाव होना शुरू हो गया था। जिसे देखकर गांव के लोगों के माथे पर चिंता की लकीरे उभरने लगी। ऐसे में ग्रामीण इक्ट्ठे होकर खुद ही बांध की मरम्मत करने में जुट गए। सूचना मिलने पर जिला प्रशासन जेसीबी क्रेन और मरम्मत करने के सामान के साथ ददसिया गांव पहुंचा। जिसके बाद बांध की मरम्मत का काम शुरू हुआ।