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हरियाणा में विधानसभा कुच के दौरान एक आशा वर्कर की मौत, सरकार को ठहराया जिम्मेवार

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देश रोज़ाना: हरियाणा में आशा वर्कर लगातार अपने वेतन बढ़ाने को लेकर कुछ न कुछ प्रयास कर रही है। सभी आशा वर्कर 28 अगस्त को चंडीगढ़ विधानसभा कूच के लिए गई थीं। लेकिन, शहर में धारा 144 लागू थी। जिसके कारण पुलिस और आशा वर्कर के बिच धक्का मुक्की हो गई। एक महिला आशा वर्कर जोगेंद्र नगर निवासी आशा वर्कर पारूल (40) की धक्का मुक्की के कारण मंगलवार देर रात मौत हो गई। यूनियन ने आशा वर्कर की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

बता दें कि 28 अगस्त को चंडीगढ़ विधानसभा घेराव के लिए पारूल साथियों के साथ रवाना हुई थी। पुलिस ने आशा वर्करों को गधोला मिल्क माजरा टोल प्लाजा पास रोक लिया था। इस दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की में पारूल की तबीयत बिगड़ गई। पारूल के दो बच्चे हैं और पति राज कुमार ऑटो रिक्शा चालक हैं।

वहीं, यूनियन ने सरकार से परिवार के लिए आर्थिक सहायता देने की मांग की है। हड़ताली आशा वर्कर्स की मांगों पर वार्ता के लिए सरकार के बुलावे पर यूनियन का प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान मानदेय बढ़ाने की मांग की।

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि आशा वर्कर्स को पूरे देश में हरियाणा प्रदेश की सरकार सबसे ज्यादा मानदेय दे रही है। यूनियन ने 8 अगस्त से शुरू हुई हड़ताल को 11 सितंबर तक बढ़ाने का फैसला लिया है। यूनियन प्रतिनिधिमंडल में शामिल महासचिव सुनीता ने स्वास्थ्य मंत्री से कहा कि 8 अगस्त से प्रदेशभर में आशा वर्कर्स की हड़ताल जारी हैl

वर्ष 2018 से आशा वर्कर्स के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। आशा वर्कर्स के कार्य तीन गुना बढ़ा दिए गए हैं और महंगाई दोगुनी बढ़ गई है। कोरोना महामारी में आशा वर्कर्स ने प्रदेश की जनता की सेवा अपनी जान जोखिम में डालकर की है।

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