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Haryana News: भिवानी नगर परिषद घोटाला मामले में CBI ने राज्य पुलिस की जांच पर सवाल उठाया, हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

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भिवानी नगर परिषद में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी है। इस रिपोर्ट में सीबीआई ने हरियाणा पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कई बड़े अधिकारियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद पुलिस ने उनकी जांच आगे नहीं बढ़ाई। हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट की कॉपी हरियाणा सरकार को सौंपते हुए अगली सुनवाई पर बहस करने का आदेश दिया है।

भिवानी बचाओ आंदोलन के संयोजक सुशील वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि म्युनिसिपल अकाउंट कोड 1930 के अनुसार नगर परिषद का एक ही बैंक खाता होना चाहिए, जबकि जांच में सामने आया है कि भिवानी नगर परिषद के पास 108 बैंक खाते हैं।

23 बैंक खाते रणसिंह यादव और मामनचंद के प्रधान पद के दौरान खोले गए थे, जिनमें 15 करोड़ 8 लाख रुपये 57 चेकों के माध्यम से फर्जी कंपनियों को जारी किए गए। इनमें से 52 चेकों पर रणसिंह यादव और राजेश मेहता के हस्ताक्षर थे, जबकि 5 चेकों पर संजय यादव और राजेश मेहता के हस्ताक्षर किए गए थे। इन 57 चेकों की कोई एंट्री परिषद के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की गई।

इसके अलावा, परिषद की बैठकों के लिए खाने-पीने का सामान लाखों रुपये में दिल्ली से मंगवाया गया था। बैंक मैनेजर नितेश अग्रवाल ने 25 लाख रुपये अपनी मां के खाते में ट्रांसफर किए थे। यह सभी लेन-देन 19 जून 2018 से 1 नवंबर 2021 के बीच किए गए थे। एक्सिस बैंक के प्रबंधन ने भी इस घोटाले की जांच की थी, जिसमें 15 करोड़ 8 लाख रुपये का गबन पाया गया।

सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया है कि नगर परिषद कार्यालय में चेक और ड्राफ्ट का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया था, और सरकार से मिलने वाली ग्रांट का भी कोई लेखा-जोखा नहीं था। सीबीआई ने इस मामले में ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर विभाग के निदेशक को भेजी थी, लेकिन हैरानी की बात यह है कि विभाग या सरकार ने इस गबन को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

सीबीआई ने इस घोटाले में दर्ज 5 एफआईआर की अलग-अलग रिपोर्ट भी हाईकोर्ट में पेश की है। रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि नगर परिषद के तत्कालीन पदाधिकारियों ने बाहरी व्यक्तियों के साथ मिलीभगत करके सरकारी फंड्स का व्यापक पैमाने पर दुरुपयोग और गबन किया। इस मामले में जिस कंप्यूटर का इस्तेमाल फर्जी अकाउंट स्टेटमेंट तैयार करने के लिए किया गया, उसे न तो पुलिस ने जब्त किया और न ही उसका डेटा रिकवर किया।

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