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बादशाहपुर गांव के लिए बोझ बने भाजपा समर्थक स्थानीय विधायक व सरकार : राजेश यादव

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प्रवेश चौहान, देश रोजाना
गुरुग्राम। 60 हजार की आबादी वाला ऐतिहासिक गांव बादशाहपुर जो विधानसभा क्षेत्र भी है, आज बदहाल है। गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है। भाजपा सरकार के जनप्रतिनिधियों ने इसकी उपेक्षा की व भाजपा सरकार के संरक्षण में विधायक, निगम अधिकारी व ठेकेदार आपस में मिलकर इसे जमकर लूट रहे हैं। यह आरोप कांग्रेस के ओबीसी विभाग के पूर्व राष्टीय प्रवक्ता राजेश यादव ने लगाया। उन्होंने कहा कि बादशाहपुर विधायक और भाजपा सरकार गांव के लिए बोझ बन गए है। पिछले 4 सालों में इन्होने गांव में विकास कार्य करवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। अब चुनाव नजदीक है तो उन्होंने गांव में अपने बड़े पोस्टर लगवा दिए है, जिसमे लिखा है राजनीति नहीं कार्यनीति। उनके पोस्टर पर तंज कसते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि विधायक की कार्यनीति विकास नहीं बल्कि राजनीति से व्यापार, पैसा कमाने की नीति व जनहित के काम ना करने की नीति है।

स्थानीय विधायक द्वारा बादशाहपुर गांव में लगाए गए पोस्टर के साथ कांग्रेस नेता राजेश यादव।

राजेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार गांव के विकास कार्यों के लिए करोडों रुपये खर्च करने का दावा कर रही है, इसके बावजूद गांव बदहाल है। गांव की गलियां टूटी हुई है। गंदा पानी गलियों में भरा हुआ है। लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं लेकिन निगम अधिकारियों के कानों पर जूं भी नहीं रेंगती। ठेकेदारों ने जो काम किया है उसमें भी घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किया गया है। निगम की सैंकड़ो एकड़ जमीन गांव में होने के बावजूद मात्र 200 गज के किराए के भवन में स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है। गांव में करीब 175 एकड़ की सरकारी जमीन होने के बावजूद भी कोई पार्क नहीं है।

राजेश यादव ने बताया कि बादशाहपुर के सैक्टर-67 में सरकारी हस्पताल के लिए आठ एकड़ जमीन आरक्षित है। सीएम ने इस पर हस्पताल बनाने की घोषणा की व 2017 में तत्कालीन विधायक ने इसका शिलान्यास भी कर दिया लेकिन आज तक वहां एक ईंट नहीं लगी। वहीं गरीब परिवारों के समारोह आदि के लिए बने कम्यूनिटी सैंटर में तहसील खोल दी गई। यहां चार सरकारी स्कूल है जिन्हें बड़े पैमाने पर पुनर्निमाण की जरुरत है तथा अध्यापकों का भारी अभाव है लेकिन इस ओर ना विधायक का ध्यान है और ना भाजपा सरकार का। अपनी छवि चमकाने के लिए सरकार ने गांव में लाखों रुपयों की लागत से कई शौचालय ऐसी जगह बनवा दिए जहां उनका कोई उपयोग नहीं है जबकि बादशाहपुर का बाजार जहां शौचालयों की जरुरत है, वहां उनका निर्माण नहीं किया जा रहा।

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