कविता, देश रोजाना
फरीदाबाद। सर्दी शुरू होने से पहले ही शहर प्रदूषण बढ़ने लगता है। शहर प्रदूषण के मामले में अक्सर देश में पहले अथवा तीसरे स्थान पर पहुंच जाता है। ऐहतियात बरतने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जिले के उद्योगों में जनरेटर चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि उद्योगों को लगातार बिजली उपलब्ध करवाने का इंतजाम बिजली निगम के पास नहीं है। फाल्ट हो जाने पर उसे ठीक करने में कई कई घंटे लग जाते हैं। ऐसे में जरनेटर के अभाव में उत्पादन प्रभावित होने का सीधा असर उद्योगों और मजदूरों पर पड़ता है। जबकि शहर प्रदूषण बढ़ने की वजह जरनेटर से कहीं ज्यादा शहर में उड़ती धूल है। विकास के नाम पर शहर को खोद कर डाल दिया गया है। जगह जगह मलवे और मिट्टी ढेर लगे हुए। लापरवाही ने अरावली को तो पहले ही उजाड़ दिया है। शहर की ग्रीनबेल्टों पर ध्यान देने की नगर निगम के पास फुर्सत नहीं है। शहर में भर की उजड़ी हुई ग्रीनबेल्टों में गोबर, कूड़े और मलवे के ढेर लगे हैं। लेकिन फिर भी प्रदूषण बढ़ने की गाज उद्योगों पर गिरती है।
लाखों खर्च, फिर भी धूल
नगर निगम और अन्य एजेंसियों द्वारा शहर भर में आरएमसी सडकों का निर्माण करवाया गया है। वहीं शहर में अनेक स्थानों पर आरएमसी सडकों का निर्माण अभी चल रहा है। सडकों की मियाद कितनी लंबी होती है, यह किसी से छिपा नहीं है। वहीं सफाई की बात करें तो आरएमसी से बनी तमाम सडके धूल से अटी पड़ी है। सडक किनारे और डिवाइडर के साथ हमेशा धूल की मोटी परत देखी जा सकती है। शहर की सडकों से धूल साफ करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से खरीदी गई स्वीपिंग मशीने यहां भेजी गई थी। इन मशीनों के संचालन में लाखों रुपये भी खर्च हो रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद यह मशीनें शहर में कहीं भी सफाई करती हुई नजर नहीं आती। जिसके कारण सडकों पर पड़ी धूल दिनभर उड़ उड़ कर हवा में जहर खोलने का काम कर रही है। लेकिन इसके बावजूद धूल को बढ़ते प्रदूषण का कभी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है।
सडकों पर मिट्टी और मलवे के ढेर
नगर निगम और एफ एमडीए निर्माण कार्य किये जा रहे हैं। कई जगह सडकों का निर्माण सीवर अथवा स्टॉर्म वॉटर लाइन डालने का काम करवाया गया है। इन स्थानों पर सडक निर्माण कार्य पूरा हुए लंबा समय बीत चुका है। लेकिन इसके बावजूद सडकों के किनारे आज भी मलवे और मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। निर्माण के बाद सडकों के दोनों किनारों की मिट्टी को व्यवस्थित नहीं किया गया है। वहीं सेक्टर 24 में स्टॉर्म वॉटर लाइन डालने का काम करीब डेढ़ साल पहले पूरा हो चुका है। लेकिन आज भी सेक्टर 24 की ज्यादातर सडकों के किनारे मिट्टी के ऊंचे ढेर लगे हुए हैं। इसी तरह सेक्टर सात-दस की रोड का निर्माण भी एफएमडीए द्वारा कई महीने से किया जा रहा है। जिसके कारण पूरी सडक पर मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। इन सभी स्थानों पर दिन भर मिट्टी उड़ने की वजह से हवा प्रदूषित हो रही है।
उजड़ी ग्रीनबेल्टों से प्रदूषण
ज्यादातर ग्रीनबेल्टों में हरियाली की जगह झाड़ियां उगी हुई हैं या फिर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। कई जगह निगम द्वारा ग्रीनबेल्टों का इस्तेमाल कूड़ा डालने के लिए किया जाता है। ग्रीनबेल्टों पर गोबर डालना भी शहर के लिए आम बात हो चुकी है। रही सही कसर अब नगर निगम और निर्माण कार्य करने वाली अन्य एजेंसियों ने पूरी कर दी है। अनेक स्थानों पर सडकों निर्माण अथवा अन्य कामों के दौरान ग्रीनबेल्टों पर मिट्टी और मलवे के ढेर लगा दिये जाते हैं। जो कई कई महीनों तक उठाए नहीं जाते। अरावली का तो पहले ही वर्षो से चीरहरण हो रहा है। पर्यावरण प्रेमियों द्वारा अरावली को बचाने के लिए लगातार प्रदर्शन भी किये जा रहे हैं। लेकिन किसी के कानों में जूं नहीं रैग रही। वहीं शहर की ग्रीनबेल्टों की भी हालत बदतर हो चुकी है। ऐसे में आने वाले समय में शहर की हवा सांस लेने लायक नहीं रहेगी।