लाडवा। इन्दिरा गांधी नेशनल कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई व चौ. चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा के कृषि विज्ञान केंद्र, कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान से फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर पोस्टर मेकिंग, स्लोगन राइटिंग व निबंध लेखन इन तीन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय सेवा योजना के 100 व 50 अन्य विद्यार्थियों सहित कुल 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्राचार्य डा. कुशल पाल ने कहा कि हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है और यहां गेहूं व धान मुख्य फसलों में आती है। इन फसलों की कटाई के उपरान्त खेतों में बहुत अधिक मात्रा में फसल अवशेष बच जाते हैं। जिसके प्रबंधन के लिए किसान उनको आग लगाकर नष्ट कर देते हैं। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है साथ में भूमि की उपजाऊ क्षमता भी समाप्त होती है। इसलिए किसानों का इस विषय पर जागरूक होना बहुत जरूरी है।
अवशेषों को मिट्टी में मिला
फसल अवशेष प्रबंधन के विषय पर डा. सरिता ने विद्यार्थियों को विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि अब सरकार द्वारा किसानों को अपने फसल अवशेषों का समुचित ढंग से प्रबंधन करने के लिए अनेक प्रकार की लाभकारी योजनाओं के साथ-साथ हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, जीरो ट्रिल ड्रिल व ट्रावेलर जैसी उन्नत तकनीक की मशीनें भी उपलब्ध करवाई जा रही है। जिनकी सहायता से बचे हुए अवशेषों को मिट्टी में मिला दिया जाता है या बहुत ही सुरक्षित ढंग से गांठों के रूप में बांध कर खेतों से बाहर निकाल दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों के प्रयोग से जहां एक तरफ पर्यावरण प्रदूषित होने से तो बचता ही है, साथ में भूमि की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है। तीनों प्रतियोगिताओं के परिणामस्वरूप निबंध प्रतियोगिता में साक्षी, बी.ए. द्वितीय वर्ष, भूपेन्द्र सिंह बीए प्रथम वर्ष, स्मृति बी.ए. द्वितीय क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे। नारा लेखन प्रतियोगिता में निकिता बी.कॉम. तृतीय वर्ष, तनीषा बी.कॉम. तृतीय वर्ष व शिवानी बीकॉम प्रथम वर्ष क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रही।
यह भी पढ़ें : शिवरात्रि के उपलक्ष में 21 दिवसीय प्रभातफेरी का जगह-जगह किया जा रहा स्वागत
परिवारों से सम्बन्ध रखते
वहीं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में गुंजन बीए द्वितीय वर्ष श्वेता बी.कॉम. तृतीय वर्ष व नैनसी बी.कॉम द्वितीय वर्ष क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे। इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि हमारे अधिकतर एनएसएस के स्वयंसेवक खेती-बाड़ी करने वाले परिवारों से सम्बन्ध रखते हैं, इसलिए इस प्रकार की जागरूकता पूर्ण जानकारियां समाज को जागरूक करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। उन्होंने आगे बताया कि अब किसान धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं और वह परंपरागत खेती को छोडक़र आधुनिक तकनीक के द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन की ओर बढ़ रहे हैं जिससे उनकी आय में तो वृद्धि होती ही है साथ में उनके खेतों की उर्वरकता भी बढ़ती है। मौके पर डा. अशोक वर्मा, डा. संदीप बंसल, डा. राजेश, डॉ. सुदेश बंसल आदि उपस्थित रहे।
खबरों के लिए जुड़े रहें : https://deshrojana.com/