सरकार की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के दौरान अधिकारी लोगों की सुविधाओं का नहीं बल्कि अपनी स्वार्थ सिद्धी की सम्भावनाये तलाशते हैं। जिससे सरकार का पैसा व्यर्थ हो रहा है। लोगों के लिए सरकार ने ओल्ड फरीदाबाद में 30 बिस्तर के अस्पताल के निर्माण की मंजूरी दी थी। लेकिन नगर निगम के अधिकारी इसमें भी भ्रष्टाचार करने से नहीं चूके। निगम अधिकारियों ने एस्टीमेट में छेड़छाड़ कर 30 बिस्तर की जगह 80 बिस्तर के अस्पताल का निर्माण शुरू करवा दिया था। जबकि 80 बिस्तर का अस्पताल बनाने लायक यहां जगह ही मौजूद नहीं है। मामले में निगम के एसई और एसडीओ को निलंबित भी किया गया था। लेकिन बाद में जांच लंबित दिखाकर दोनों को ही बहाल कर दिया गया। लेकिन इस घोटाले की जांच आज तक सीरे नहीं चढ़ पाई है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम के अधिकारी चारसाल गुजर जाने के बाद भी अस्पताल की इमारत का निर्माण नहीं करवा पाए। जिसका खामियाजा इलाके लोगों को उठाना पड़ रहा है।
निर्माण में घोटाला उजागर
अस्पताल के निर्माण दौरान किसी ने निगम द्वारा की जा रही गड़बड़ी की शिकायत सरकार से कर दी। जिसके बाद चंडीगढ़ से स्थानीय निकाय विभाग के चीफ इंजीनियर को निमार्णाधीन अस्पताल की जांच के लिए यहां भेजा गया था। जांच के दौरान अस्पताल के निर्माण में कई तरह की खामियां पाई गई थी। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा इमारत के एस्टीमेट के साथ छेड़छाड़ कर 30 कीजगह 80 बिस्तर के अस्पताल का निर्माण करवाया जा रहा था। जबकि 80 बिस्तर के अस्पताल के लायक यहां पर जगह ही उपलब्ध नहीं थी। चीफ इंजीनियर ने जांच रिपोर्ट तैयार कर अधिकारियों को सौंप दी थी। स्थानीय निकाय विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन रॉय ने रिपोर्ट के आधार पर एसई ओमवीर और एसडीओ राज कुमार को निलंबित कर दिया था। लेकिन कुछ समय बाद ही दोनों को बहाल कर दिया गया।
वर्षो से अधर में लटका निर्माण
ओल्ड फरीदाबाद डिस्पेंसरी की इमारत जर्जर हो चुकी थी। जिससे मरीजों के साथ यहां तैनात डॉक्टर और कर्मचारियों को भी भारी परेशानी हो रही थी। स्थानीय लोग यहां नई इमारत बनाने की मांग कर रहे थे। जिसे ध्यान में रखते फरवरी 2019 में सरकार ने यहां 30 बिस्तर के अस्पताल के निर्माण की मंजूरी दे दी थी। जिसके कुछ समय बाद तत्कालीन कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने इमारत का शिलान्यास करने के बाद निर्माण कार्य शुरू करवा दिया था। लेकिन चार साल से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया। पिछले काफी समय से तो अस्पताल का निर्माण कार्य बिल्कुल ठप पड़ा हुआ है। जल्दी ही निर्माण शुरू होता हुआ नजर भी नहीं आ रहा है। अस्पताल न होने के कारण आसपास रहने वाले हजारों लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
निर्माण पर उठाए गए सवाल
पिछले दिनों लोग इस अस्पताल के भवन की तुलना भाजपा के जिला कार्यालय से सोशल मीडिया पर कर रहे थे। क्योंकि इस कार्यालय का निर्माण कम समय में पूरा करा कर उद्घाटन भी कर दिया गया है। जबकि वर्ष 2019 में शुरू हुआ अस्पताल का निर्माण आज भी अधूरा है। फिलहाल निर्माण बिल्कुल ठप है। लोगों में चर्चा है कि निगम अधिकारियों द्वारा इसके निर्माण में भी घोटाला किया गया है। जिसकी वजह से निर्माण कार्य फिलहाल पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लोग तंज कस रहे थे कि जब भाजपा के नेता इतने कम समय में जिला कार्यालय का निर्माण करवा सकते हैं तो सरकारी अस्पताल के निर्माण की तरफ उनका ध्यान क्यों नहीं जा रहा है। भाजपा सरकार चाहे तो इस अस्पताल का निर्माण भी इतनी ही तेजी के साथ करवा सकती है।
लोग झेल रहे हैं परेशानी
समाज सेवी किशन कुमार का कहना है कि निगम अधिकारियों ने अस्पताल की इमारत को भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं छोड़ा। अस्पताल के निर्माण में घोटाला करने के लिए अधिकारी एस्टीमेट में गड़बड़ी कर 30 की जगह 80 बिस्तर का अस्पताल बनवा रहे था। निगम अधिकारियों के भ्रष्टाचार का खामियाजा हमेशा जनता कोही उठाना पड़ता है।
–राजेशदास