राजेश दास
विभिन्न विभागों की लापरवाही से लोग आए दिन हादसों का शिकार हो रहे है। खुले मैनहॉल और गड्ढों के कारण लोग आए दिन हादसों का शिकार होकर जान गंवा रहे हैं। इसके अलावा शहर में अवैध से रूप से बने मकानों के छज्जों के कारण भी लोग आए दिन बिजली के करंट की चपेट में आकर हादसों का शिकार हो रहे हैं। शहर में विभागों की लापरवाही, अवैध निर्माण और अतिक्रमण के साथ-साथ मकानों के निर्माण के दौरान सरकारी जमीन पर निकाले जाने वाले छज्जे भी एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहे हैं। शहर भर के मकानों में अवैध रूप से बने छज्जों से अनेक लोग बिजली का करंट लगने से अपनी जान गंवा चुके हैं। करीब ढाई साल पहले एसजीएम नगर में इस वजह से हुए हादसे में दो सगे भाई बहन की करंट लगने से मौत हो गई थी। जिसके बाद बिजली निगम ने अवैध छज्जे वाले मकानों को नोटिस भेजने का फैसला लिया था। पिछले ढाई सालों में विभाग हजारों की संख्या में नोटिस भेज चुका है। लेकिन कार्रवाई किसी के खिलाफ नहीं हुई।
नियमों के विपरित निर्माण
मकानों का निर्माण करते समय लोग नियमों को पूरी ताक पर रख देते हैं। निर्माण के दौरान लोग जोखिम उठाने से भी नहीं डरते। बिजली की तारों से सटाकर मकानों के छज्जे प्लॉट से बाहर निकालते हैं। जबकि नियमों के मुताबिक बिजली की तारों से निश्चित दूरी पर ही मकान अथवा व्यवसायिक इमारतों का निर्माण कर सकते हैं। बिजली निगम के नियमों के मुताबिक 650 वोल्टेज की लाइनों से निर्माण की दूरी कम से कम ढाई मीटर होनी चाहिए। 11 हजार से 33 हजार वोल्टेज की हाईटेंशन बिजली की तार से दूरी 3.7 मीटर और इससे ज्यादा वोल्टेज की तार होने पर उसी के मुताबिक दूरी भी बढ़ती जाती है। लेकिन मकानों के निर्माण के दौरान आम लोग तो ध्यान देते ही नहीं है। वहीं बिजली और नगर निगम के अधिकारी भीइस तरफ जरा ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं करते।
हो चुके हैं अनेक हादसे
छज्जों के नजदीक से गुजर रही बिजली की तारों से कई हादसे हो चुके हैं। तीन साल पूर्व एनएच पांच में बाल्कनी में कंबल सुखा रही एक युवती की करंट से मौत हो गई थी। इससे पहले इलाके में युवक की बाल्कनी में मोबाइल पर बात करते समय करंटसे मौत हो गई थी। करीब ढाई साल पहले एसजीएम नगर में मकान के छज्जे पर खेल रहे सगे भाई बहनों की हाईटेंशन तार के करंट से मौत हो गई थी। नियमों के मुताबिक प्लॉट के बाहर छज्जा नहीं होना चाहिए। लेकिन निगम की लापरवाही से लोगों ने शहर में ऊंची-ऊंची इमारतें छज्जों के ऊपर खड़ी की हुई हैं। शहर में यहां वहां इस तरह के छज्जों पर बने निर्माण आम देखे जा सकते हैं। इससे साफ जाहिर है कि नगर निगम के अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है।
नोटिस तक सीमित कार्रवाई
हादसों को देखकर बिजली निगम के अधिकारियों ने थोड़ी गंभीरता जरूर दिखाई थी। क्योंकि हादसे के बाद लोग बिजली निगम पर ही कार्रवाई की मांग करते हैं। जबकि वास्तव में कार्रवाई नगर निगम के अधिकारियों पर होनी चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए करीब दो साल में बिजली निगम के अधिकारियों ने ऐसे मकान मालिकों को नोटिस जारी किए हैं, जिनके छज्जे प्लॉट से बाहर तक निकले हुए हैं। उस दौरान बिजली निगम के अधिकारियों ने दावा किया था कि नोटिस भेजने के बाद यदि लोगों ने खुद अपने छज्जे नहीं तोड़े तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। लेकिन करीब ढाई साल का समय बीतने के बाद भी बिजली निगम की तरफ से न तो एफआईआर दर्ज करवाई गई है और न ही इन छज्जों को तुड़वाने के लिए नगर निगम को कोई पत्र लिख कर भेजा है।
सख्त कार्रवाई की जरूरत
समाजेसेवी अनीष पाल का कहना है कि बिजली की तारों से अक्सर लोगों की जान जा रही है। लेकिन संबंधित विभाग कोई कदम नहीं उठे रहे। नगर निगम की लापरवाही से ही शहर में अवैध निर्माण हो रहे हैं। लोग नक्शे पास कराए बिना मकानों का निर्माण करते समय छज्जे बाहर निकालते हैं। लेकिन नगर निगम द्वारा रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जाता।