दयाराम वशिष्ठ, देश रोजाना
पृथला। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।अगर इरादे बुलंद हों तो कडी मेहनत के बलबूते दिव्यांग भी ऊंची उड़ान भरने में सक्षम है। यह साबित कर दिया है गांव बघौला के सागर वशिष्ठ ने। जिसने पार्लियामेंट हाउस से सेक्शन ऑफिसर की नौकरी छोड़ आयकर विभाग में सहायक ऑडिट ऑफिसर की नौकरी हासिल कर दिव्यांग बच्चों के लिए बड़ी मिसाल भी पेश की है। गुजरात में अहमदाबाद के गांधी नगर में पदभार ग्रहण करने के बाद जब 22 वर्षीय दिव्यांग अपने गांव पहुंचा तो लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। गांव के लोगों ने उसका फूल मालाओं से जोरदार स्वागत किया।
जनस्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत परमान्ंद शर्मा का बेटा महेंद्र शर्मा गांव में किरायने की दुकान करते हैं। उनका बड़ा बेटा सागर वशिष्ठ जन्म से दिव्यांग था। परिवार के लोग दिव्यांगता को देखा हमेशा उसके भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे। पढ़ाई करते वक्त सागर को भी ताने सुनने को मिलते थे। लेकिन दिव्यांगता के अभिशाप को सागर वशिष्ठ के हौसले और साहस ने मात दी। वर्ष 2021 में बी.कॉम करने के साथ ही सागर वशिष्ठ ने वर्ष 2021 में एमटीएस की परीक्षा पास कर पार्लियामेंट हाउस में सेक्शन ऑफिसर का पदभार संभाला। लेकिन इससे वह संतुष्ट नहीं थे। दिन में पिता के साथ दुकान पर मदद करते और रात में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों में जुट जाते। अब सीजीएल की परीक्षा पास करने पर इनकी नियुक्ति आयकर विभाग में सहायक ऑडिट ऑफिसर के पद हुई है।
26 सितंबर को सागर वशिष्ठ ने गुजरात के गांधी नगर में आयकर विभाग में पदभार संभाला। जहां से वे शुक्रवार शाम अपने गांव लौटे। यहां पहुंचते ही उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। दिव्यांग सागर वशिष्ठ ने बताया कि अभी भी वे अपने पद से संतुष्ट नहीं हैं। अब वह यूपीएसई परीक्षा की तैयारी करेंगे। बसपा नेता सुरेंद्र वशिष्ठ ने दिव्यांग सागर वशिष्ठ को सम्मानित करते हुए कहा कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं बल्कि ऊपर वाले का वरदान है। दिव्यांग सागर वशिष्ठ ने नए आयाम गढ़ने का काम कर यह साबित कर दिखाया है। उन्होंने परिजनों को बधाई दी तथा बच्चे के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि अभी इसी मंजिल को पाकर संतोष नहीं करना है। उन्हें अभी और भी सफलता पाकर उच्च पद पर विराजमान होना है, ऐसी मेरी कामना है। भगवान ने ऐसे बच्चों को स्पेशल बनाकर दिव्य शक्ति दी है। इसलिए समाज में सभी को ऐसे बच्चों को हौंसला बढ़ाना चाहिए, ताकि ऐसे बच्चे काबलियत के बल पर न केवल अपना व अपने परिजनों का नाम रौशन करें।
इस मौके पर दादा परमानंद शर्मा, पिता महेंद्र शर्मा, बच्चे की दादी शांति देवी, मां विमलेश देवी के अलावा सूबेदार इंद्र सेन शर्मा, रमेश शर्मा, अरुण वशिष्ठ, एएसआइ अमर सिंह, चौधरी राजेंद्र सिंह, नेतराम, ठाकुर लाल, खचेडु मल, भूदत, शिव राम समेत काफी संख्या में गांव के लोग मौजूद रहे।