कर्मचारी संगठनों ने मंगलवार को शाहाबाद में प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्ण लाठी चार्ज और गिरफ्तारी की घोर निन्दा की है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बुधवार को यहां जारी बयान में लाठीचार्ज व गिरफ्तारी की घोर निन्दा करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य में आंदोलन करना गुनाह हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारी, मजदूर, किसान व सरपंच के आंदोलन पर लाठी चार्ज कर चुकी हैं और आंदोलन कारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर चुकी हैं।
ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर निरंतर हमले किए जा रहे हैं। उन्होंने किसानों, मजदूरों, नौजवानों, कर्मचारियों व सरपंचों व अन्य सभी संगठनों से व्यापक एकता के साथ इसका जबाब देने की ठोस योजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने गिरफ्तार किए किसानों को रिहा करने और मुकदमे वापस लेने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि किसान पिछले कई दिनों से सुरज मुखी की एमएसपी पर खरीदने की जायज मांग को लेकर आंदोलन पर थे और उन्होंने सुनवाई न होने पर जीटी रोड पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। लेकिन सरकार ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। जिससे आक्रोशित किसान सड़क पर उतर आए और सरकार का बातचीत से रास्ता निकलने की बजाय लाठी चार्ज करने के आदेश दिए। लाठी चार्ज में सैकड़ों किसान घायल हो गए।
सरकार के निर्देश पर पुलिस ने किसानों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज कर दिए और किसानों की गिरफ्तारी भी कर ली। उन्होंने दो टूक कहा कि लाठी चार्ज व झुठे मुकदमे दर्ज करने से आंदोलन समाप्त नही करवाएं जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने दूसरे कार्यकाल में मुख्य कर्मचारी एवं मजदूरों के संगठनों से बातचीत तक करना आवश्यक जरुरी नहीं समझा। जिससे आक्रोश बढ़ता जा रहा है।