शहर की घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों, सरकारी कार्यालय और राष्ट्रीय राजमार्ग के ऊपर से भी बिजली की हाईटेंशन लाइनें गुजर रही है। हाईटेंशन तारों से पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। हाईटेंशन बिजली की लाइनें कुछ मकानों से दो-तीन फुट की ऊंचाई से गुजर रही हैं। ऐसे इलाकों में हुए हादसों में कई लोग जान गंवा चुके हैं तो कई लोग दिव्यांग हो गए हैं। पिछले दिनों सेक्टर तीन में हाईटेंशन तार की चपेट में आकर तीन लोगों की मौत हुई थी । पिछले दिनों बल्लभगढ़ की सुभाष कालोनी में हाईटेंशन तार टूट कर मकानों की छत पर गिर गई थी। गनीमत रहा कि कोई हताहत नहीं हुआ। बिजली निगम ने तारों को शिफ्ट करने की योजना कई बार बनाई है। लेकिन इन योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। वहीं नगर निगम द्वारा जानबूझ कर इन तारों के नीचे विकास कार्य तक करवाए जाते हैं। नगर निगम हाईटेंशन लाइन के ठीक नीचे सेक्टर तक विकसित कर प्लॉट बेच चुका है।
इन रिहायशी इलाकों लटकी मौत
शहर में कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां बिजली की हाईटेंशन लाइनों के कारण काफी खतरा बना हुआ है। इनमें डबुआ कॉलोनी, संजय कालोनी, सेक्टर 52, मुजेसर, ओल्ड प्रैस कालोनी, पर्वतीया कॉलोनी, सारन गांव, सेक्टर-21 डी, इंद्रा कालोनी, भारत कालोनी, गौंछी, सेक्टर-37, सराय ख्वाजा, बल्लभगढ के कई इलाके, सेक्टर छह, सेक्टर तीन, सेक्टर-21 सी, सेक्टर 22, 23, 24, एसजीएम नगर, नेहरू कॉलोनी, हनुमान नगर, एनएच दो, सेक्टर-56 हाउसिंह बोर्ड कॉलोनी आदि शामिल है। इन स्थानों पर लोगों के मकानों, सरकारी कार्यालय, निजी व सरकारी स्कूल के ऊपर से बिजली की खतरनाक हाईटेंशन लाइनें गुजर रही है। इन बिजली की लाइनों की वजह से शहर के विभिन्न हिस्सों में आए दिन हादसे होते रहते हैं। कई बार तो लोगों की जान तक चली जाती है। बरसात के दिनों में हाईटेंशन बिजली की लाइनें और ज्यादा खतरनाक साबित होने लगती है।
मुआवजा देकर भी कैसे हुए निर्माण
हाईटेंशन लाइनों के नीचे की जमीन का मालिकों को मुआवजा सरकार ने दिया हुआ है। लेकिन फिर भी कालोनियां बसती रही। जमीनों की रजिस्ट्ररी के दौरान किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसीलिए हाईटेंशन लाइनों के नीचे लोगों के मकान बने हुए हैं। कई स्थानों पर तो हाईटेंशन लाइनों के नीचे सरकारी अथवा निजी स्कूल भी चल रहे हैं। यहां तककि नगर निगम द्वारा विकसित किए गए सेक्टर 52 के ऊपर से भी बिजली की हाईटेंशन तार गुजर रही है। इसके अलावा सब कुछ पता होने के बावजूद नगर निगम द्वारा हाईटेंशन तारों के नीचे बसी कालोनियों में सडक और गलियों के निर्माण के साथ लोगों को पानी और सीवर के कनेक्शन तक दिए जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ बिजली निगम खुद अपनी ही जमीन पर अवैध रूप से बने मकानों में बिजली के कनेक्शन आसानी से दे देता है।
ठंडे बस्ते में शिफ्ट करने की योजना
हाईटेंशन लाइनों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए बिजली निगम ने इन्हें शिफ्ट करने की योजना बनाई थी । खतरनाक लाइनों की पहचान करने के लिए निगम ने सर्वे भी करवाया था । जिसमें 400 से ज्यादा लाइनों की पहचान हुई थी । लेकिन इसके बाद निगम ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। बिजली निगम की योजना के मुताबिक लाइनें करीब दो साल पहले शिफ्ट हो जानी चाहिए थी। लेकिन बिजली निगम के लापरवाह रवैये के कारण यह योजना आज भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। ऐसे में इन तारों से होने वाले हादसों में आए दिन जान जा रही है। बरसात में हाईटेंशन तारों की वजह से सबसे ज्यादा हादसों की सम्भावना रहती है। लेकिन इसके बावजूद बिजली निगम इन लाइनों कोशिफ्ट करवाने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं कर रहा है।
नगर निगम भी है जिम्मेदार
नियमों के मुताबिक हाईटेंशन बिजली की लाइनों के नीचे किसी तरह का विकास कार्य नहीं करवाया जा सकता। लेकिन नगर निगम ने संजय कालोनी के निकट स्थित सेक्टर 52 को खुद विकसित करते हुए उसमें प्लॉट काटे थे। निगम से प्लॉट खरीदने के बाद ज्यादतर लोगों ने सेक्टर 52 में मकान तक बना लिये हैं। जब कि सेक्टर के ठीक ऊपर से बिजली की हाईटेंशन तार गुजर रही है। इसी तरह निगम द्वारा शहर के विभिन्न हिस्सों में हाईटेंशन लाइनों के नीचे करोड़ों रुपये की सड़कें बनवाई हुई हैं।