फरीदाबाद सट्टा किंग : आज हर व्यक्ति अमीर बनने की चाहत रखता है। वह जल्द से जल्द अमीर बनने के लिए कई हथकंडे भी अपनाता है। हालांकि, जल्दी अमीर बनने के चक्कर में गतल संगत में भी पड़ता है। आज कई लोग सट्टा मटका (फरीदाबाद सट्टा किंग) का जुआ खेलते हैं। उन्हें लगता है कि वे इससे जल्दी अमीर बन जाएंगे। हालांकि, ऐसा होता नहीं है। दिखने में भले ही यह केवल एक गेम दिखता हो। असल में किंग ऑफ सट्टा या सट्टा मटका गैरकानूनी खेल है। इसमें पैसे कमाने के चक्कर में लोग अपने पैसे खर्च कर देते हैं।
फरीदाबाद सट्टा किंग : क्या है सट्टा मटका का खेल
सट्टा मटका (फरीदाबाद सट्टा किंग) एक तरह से लॉटरी का खेल है। इसमें बाजार या अन्य किसी चीज की कीमत पर सट्टा लगाया जाता है। मसलन, सट्टा मटका में कॉटन बिक्री बाज़ार की शुरुआती कीमत और बंद होने की कीमत पर सट्टा लगाया जाता है। बाज़ार की कीमतों का आंकड़ा, न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज से लिया जाता है। इंडियन सट्टा मटका, आज़ादी के पहले से खेला जाता आ रहा है। 20वीं शताब्दी की शुरुआत के बाद से सट्टा मटका गेम, दूसरे एक्सीडेंटल नंबर जनरेशन गेम्स की वजह से छिप गया था। इस गेम को देखकर लगता है, कि किस्मत और मौके से पैदा होने वाली संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही इसे बनाया गया है।
फरीदाबाद सट्टा किंग : बड़े स्तर पर पैसे लगा रहे लोग
भारत में इन दिनों इंडियन सट्टा मटका (Satta Matka) गेम काफी चलन में है। बड़ी संख्या में लोग इसमें (फरीदाबाद सट्टा किंग) पैसा लगा रहे हैं। यह आय का एक ज़रिया बन चुका है। सट्टा मटका का डेवलपमेंट सक्रिय रुप से सन 1950 के दशक में किया गया था। तब भारत की उस समय की सरकार ने बड़े स्तर पर काम करने वाले ट्रेडर्स के लिए मोनोपली को बैन कर दिया था।
मोबाइल से चलन बढ़ा
सट्टा मटका (फरीदाबाद सट्टा किंग) सालों से चल रहा है। अब इसका (Satta Matka) ढंग बदल गया है। सट्टा मटका एक अवैध जुआ खेल है। इसे 1950 के दशक में शुरू किया गया था। इसे ‘आंकड़ा जुगार’ के नाम से भी जाना जाता था। जैसे-जैसे समय बीतता गया, सट्टा मटका खेल और अधिक बढ़ता चला गया। अब यह उस खेल से बिल्कुल अलग है जो पहले हुआ करता था। हालांकि, इसका नाम अभी भी ‘मटका’ (Satta Matka) है। मोबाइल हर हाथ पहुंचने के बाद से सट्टा मटका खेल में बढ़ोतरी हुई है।
जीतने वाले को कहा जाता है ‘मटका किंग‘
भारत में यह खेल (फरीदाबाद सट्टा किंग) शुरू से ही अवैध है। ब्रिटिश सरकार के 1867 में पेश किए गए सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत मटका किंग या सट्टा किंग खेलते समय पकड़े गए लोग जेल जा सकते हैं। जुर्माना लगाया जा सकता है। बता दें कि यह जुआ खेल संख्या का चयन करने के बाद सट्टेबाजी पर आधारित है। पुराने जमाने में 0 से 9 तक की संख्या वाली चिट को मटके में डालते थे। एक चिट को मटके से उठाकर उस पर लिखे नंबर यानी जीतने वाले नंबर की घोषणा करते थे।
हाल के दिनों में यह खेल खेलने का अभ्यास बदल गया है। अब ताश के पत्तों के एक पैकेट में से 3 अंक चुने जाते हैं। मटका जुआ खेल जीतने वाले को ‘मटका किंग’ कहा जाता है।
सट्टा खेलने की सजा क्या है?
बता दें कि 1867 का सार्वजनिक गेमिंग अधिनियम के खिलाफ जाकर सट्टा खेलने वालों को 200 रुपये तक का जुर्माना या 3 महीने तक के कारावास का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, सरकार ने हाल में ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में जुआ चलाने वालों पर लगाम कसी है। इसके लिए कुछ सख्त नियम बनाए हैं।
नोट : देश रोजाना ऐसे किसी भी अवैध और प्रतिबंधित खेल का समर्थन नहीं करता है और दर्शकों से अनुरोध करता है कि ऐसे खेल को खेलने से बचें वरना कानूनी कार्रवाई हो सकती है।