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प्याज उगाने के लिए दूसरे राज्यों से करीब 100 करोड़ रुपये की गंठी (बीज) लाते है किसान

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नूंह जिला कृषि प्रधान है। यहां पर लोगों की आय का मुख्य साधन कृषि, बागवानी व पशु पालन है। सरकार द्वारा बागवानी विभाग द्वारा जिले के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई हुई है । विभाग द्वारा इन योजनाओं का लाभ किसानों को दिलाने के लिए प्रयास भी किए जा रहे है , लेकिन जागरूकता व अनपढ़ता के चलते जिले के किसानों को योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

ऐसे में किसानों को तकनीकी के साथ जोड़ आधुनिक तरीके से बागवानी सिखाना विभाग के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। विभाग द्वारा नई-नई योजनाएं चलाकर किसानों की आय को दोगुना करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन विभाग में अधिकारी से लेकर कर्मचारियों की कमी सहित अन्य समस्याएं मुंह फाड़ें खड़ी हुई है । ऐसे ही मुद्दों को को लेकर दैनिक संवाददाता की जिला बागवानी अधिकारी दीन मोहम्मद से हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंश।

पिनगवां में 10 करोड़ की लागत से बरसाती प्याज उत्कृष्ट केंद्र बनाया जा रहा है इसका किसानों को कितना और किस तरह फायदा होगा?
जिले में बरसाती प्याज सबसे अधिक बोई जाती है। इसकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है। जिसको देखते हुए पिनगवां में 55 एकड़ जमीन पर 10 करोड़ की लागत से बरसाती प्याज उत्कृष्ट केंद्र बनाया जा रहा है। जहां पर जिले के ही किसानों को पंजीकृत कर उनसे बरसाती प्याज की गंठी (बीज) तैयार कराया जाएगा। जिससे उन्हें रोजगार मिलेगा। वहीं अब जिले के किसान प्रति वर्ष दूसरे राज्यों से करीब 100 करोड़ रुपये की बरसाती प्याज की गंठी ला रहे है , लेकिन केंद्र के शुरू होने के साथ ही यहां पर किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर गंठी दी जाएगी। केंद्र शुरू होने के बाद जिले के किसाानों को प्रति वर्ष करीब 150 करोड़ रुपये का लाभ होगा।

जिले के पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की क्या योजना है?
नूंह जिला गुरुग्राम व दिल्ली जैसे बड़े शहरों से लगता हुआ है। इन शहरों में माली व बागवानी सुपरवाइजर की काफी मांग है। जिसको देखते हुए बरसात प्याज उत्कृष्ट केंद्र में एक करोड़़ की लागत से एक प्रशिक्षण केंद्र भी बनाया जा रहा है। जहां पर अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा 10वीं व 12वीं कक्षा पास युवाओं को माली व बागवानी सुपरवाइजर बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। एक वर्ष के प्रशिक्षण के बाद इन्हें आसानी से नौकरी मिल जाएगी।

जिले के किसानों को तकनीकी से जोड़ आमदनी कैसे बढाई जाएगी
उत्कृष्ट केंद्र में एक एकीकृत पैक हाउस भी बनाया जा रहा है। जिसमें किसानों की सब्जियों का मशीनों के द्वारा गुणवत्ता के हिसाब से बांटा जाएगा और उसके बाद केटगरी के हिसाब से सब्जियों की पैकिंग की जाएगी। पैकिंग की गई सब्जियों का मार्केट में दो से तीन गुणा दाम बढ़ जाएगा। वर्तमान में किसान सब्जियों को बिना छांटे ही बाजार में बेचने चला जाता है। जिससे सब्जियों का पूरा दाम नहीं मिल पाता है।

जिले में तरबूज की मांग काफी अधिक है, तरबूज की उन्नत किस्म उगाने की क्या योजना है ?
बेमौसमी तरबूज उगाने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट इंडरी खंड में लगाया था। जिसमें एक किसान द्वारा तीन एकड़ जमीन में जन्नत व आरोही किस्म का लाल-पीला तरबूज तरबूज लगवाया था । जिससे किसान ने तीनएकड़ जमीन पर तरबूज लगाकर करीब सात लाख रुपये कमाए। अब इस पायलेट योजना से जिले के 100 किसानों को जोड़कर बेमौसमी तरबूज लगवाए जाएंगे। इस उन्नत किस्म से एक एकड़ जमीन पर करीब 130 क्विंटल तरबूज होता है। बेमौसम होने के कारण इस तरबूज की काफी अधिक कीमत होती है और किसानों को काफी अधिक फायदा होता है। इसे लगाने के लिए बीज, मलचिंग व ड्रीप सिस्टम पर सब्सीडी भी दी जाएगी। अगस्त के पहले सप्ताह में इसे शुरू किया जाएगा।

अंत्योदय परिवार के किसानों के लिए क्या योजनाएं है ?
अंत्योदय परिवार के किसानों के लिए मशरूम व मधुमक्खी पालन पर 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। पिछले वर्ष पुन्हाना खंड के दो किसानों द्वारा मधुमक्खी पालन कराया गया था। 50-50 डब्बे रख दोनों किसानों ने दो-दो लाख रुपये की आमदनी की। अब इस योजना का लाभ 15 किसानों को दिया जाएगा। मधुमक्खी पालन सर्दी के मौसम में किया जाता है और इसमें अपनी जमीन की भी जरूरत नहीं होती है। रोड के किनारे पर भी मुधमक्खी के डब्बे रख पालन किया जा सकता है।

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