किसानों का आंदोलन एक बार फिर तेज होने वाला है। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि वे 26 नवंबर से आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। किसानों की मांग है कि सरकार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाए।
किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही है। किसानों की और भी कई मांगें हैं जैसे किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली के दाम न बढ़ाए जाएं, पुलिस के झूठे केस वापस लिए जाएं, लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों को न्याय मिले, 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को वापस लाया जाए।
किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए बहुत पहले से ही आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर कई महीनों तक धरना दिया था। सरकार से बातचीत भी हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब किसानों ने आमरण अनशन का फैसला लिया है।
सरकार ने किसानों की मांगों पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। सरकार का कहना है कि वह किसानों की समस्याओं को समझती है और उनके साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार सिर्फ बातें कर रही है और कोई काम नहीं कर रही है।
अब देखना होगा कि यह आंदोलन कहां तक जाता है। किसानों का कहना है कि वे अपनी मांगों के लिए लड़ते रहेंगे। सरकार को भी किसानों की मांगों पर गौर करना होगा और कोई समाधान निकालना होगा।
यह आंदोलन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश के लाखों किसानों के जीवन से जुड़ा हुआ है। किसानों की आय बहुत कम है और उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा।
आप इस आंदोलन के बारे में अधिक जान सकते हैं और किसानों का समर्थन कर सकते हैं। आप अपने दोस्तों और परिवार के लोगों को भी इस बारे में बता सकते हैं। आप सरकार को भी पत्र लिखकर किसानों की मांगों का समर्थन कर सकते हैं।