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सरकार पूंजीपतियों को राहत देने के लिए खानें पीने की चीजों पर लगा रहे जीएसटी : सुभाष लांबा

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फरीदाबाद। रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के बेनर तले पैंशनर्ज अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 19 जनवरी को डीसी आफिस पर धरना प्रदर्शन करेंगे। इसकी तैयारियों को लेकर सोमवार को नगर निगम मुख्यालय के प्रांगण में जिला प्रधान नवल सिंह नरवत की अध्यक्षता में जिला कार्यकारिणी की मीटिंग आयोजित की गई। जिला सचिव जयपाल चौहान द्वारा संचालित इस मीटिंग में अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा, रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के उप प्रधान यूएम खान, ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के पूर्व उप प्रधान सतपाल नरवत, पूर्व सर्कल सचिव लज्जा राम, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के पदाधिकारी विजय देव तेवतिया, खजान सिंह, सुख पाल, चन्दर पाल सैनी, कासिम अली, अमर सिंह बैंसला ,राम प्रसाद व हर प्रसाद आदि मौजूद थे।

मीटिंग में निरंतर संधर्ष के बावजूद पैंशनर्ज की मांगों का समाधान न निकलने पर सरकार की घोर निन्दा की। मीटिंग में पैंशनर्ज की 65, 70 व 75 साल की उम्र होने पर बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी करने, सभी पैंशनर्ज को बिना शर्त कैशलेस मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने, पैंशन कम्यूटेशन की राशि की रिकवरी 15 की बजाय 12 साल में करने, कोरोना काल में फ्रीज किए 18 महीने के महंगाई भत्ते को रिलीज करने, वरिष्ठ नागरिकों को पहले की तरह हवाई जहाज व रेल यात्रा में रियायत देने, पारिवारिक पैंशनर्ज को भी एलटीसी की सुविधा देने आदि मांगों को प्रमुखता से उठाया गया।

मीटिंग को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि केंद्र सरकार नव उदारवादी आर्थिक नीतियों को बहुत तेजी से देश में लागू कर रही है। जिसके तहत सन् 2014 से 2023 तक सरकार ने बड़े पूंजीपतियों के 17.46 लाख करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाल दिए हैं। कारपोरेट टैक्स 30 से घटाकर 22 प्रतिशत कर कारपोरेट घरानों को लाखों करोड़ की राहत दी गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का दावा है कि हर महीने रिकार्ड जीएसटी कलेक्शन हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद कोविड 19 में कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के फ्रिज किए गए 18 महीने के बकाया डीए-डीआर को रिलीज नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के विभागों एवं पीएसयू में करीब एक करोड़ रिक्त पदों को भर बेरोजगारों को स्थाई रोजगार नहीं दिया जा रहा है। रेगुलर स्वीकृत पदों पर भी ठेका संविदा पर कर्मचारियों को भर्ती किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ठेका संविदा कर्मियों को नियमित करने, समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा देने का सरकार को कोई इरादा नहीं है। जन सेवाओं का निजीकरण किया जा रहा है और ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर निरंतर हमने किए जा रहे हैं। नेशनल एजुकेशन पालिसी को देश में जबरन लागू किया जा रहा है। जिससे शिक्षा का निजीकरण एवं व्यापारीकरण तेजी से बढ़ेगा और गरीब की पहुंच से शिक्षा बाहर हो जाएगी। बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ बिजली अमेंडमेंट बिल 2022 का पास करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिसको लेकर कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

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