हरियाणा में बढ़ते प्रदूषण के कारण बच्चों की सेहत को खतरा हो रहा है। इसीलिए, हरियाणा सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों को यह अधिकार दे दिया है कि वे अपने जिले में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए 5वीं कक्षा तक के स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद कर सकते हैं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
- बढ़ता प्रदूषण: हरियाणा में इन दिनों प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। खासकर, दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण बहुत गंभीर स्तर पर पहुंच गया है।
- बच्चों की सेहत को खतरा: प्रदूषण से बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, आंखों में जलन हो सकती है और कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
- सरकार की चिंता: सरकार बच्चों की सेहत को लेकर बहुत चिंतित है। इसलिए, उसने यह फैसला लिया है कि बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए स्कूलों को बंद किया जा सकता है।
कैसे लिया जाएगा फैसला?
हर जिले का उपायुक्त अपने जिले में प्रदूषण की स्थिति का आकलन करेगा। अगर प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा होगा तो वह अपने जिले के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई को ऑनलाइन कर सकता है।
छोटे बच्चे प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए, सरकार ने फैसला लिया है कि 5वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए यह फैसला लागू किया जाएगा।
कब तक रहेंगे स्कूल बंद?
स्कूल कब तक बंद रहेंगे, यह प्रदूषण की स्थिति पर निर्भर करेगा। जब प्रदूषण का स्तर कम हो जाएगा, तब स्कूल फिर से खुल जाएंगे। यह फैसला शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों के लिए लागू होगा। हर जिले के उपायुक्त अपने जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों के लिए अलग-अलग फैसले ले सकते हैं।
हरियाणा में प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजह धान की फसल की कटाई के बाद पराली जलाना है। पराली जलाने से बहुत ज्यादा धुआं निकलता है, जिससे प्रदूषण बढ़ जाता है। हर साल जब धान की फसल की कटाई होती है तो प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है और सरकार को ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं। यह फैसला प्रदूषण को कम करने का एक कदम है। लेकिन, प्रदूषण को पूरी तरह से कम करने के लिए हमें कई और कदम उठाने होंगे। हमें पराली जलाने से रोकना होगा और प्रदूषण कम करने के लिए अन्य उपाय भी करने होंगे।