देश रोज़ाना: हरियाणा में हर साल सितंबर से नवंबर के बीच वायु प्रदूषण देखने को मिलता है। हर साल सरकार कुछ ना कुछ प्रबंध जरूर करते है ताकि वायु प्रदूषण कम किया जाए। हरियाणा में वायु प्रदूषण की शुरुआत पराली जलाने से होती है। उसके बाद दीपावली पर जलाए जाने वाले पटाखों से और भी हवा दमघोंटू हो जाती है।
हरियाणा के 7 शहर ऐसे है। जो पॉल्यूटेड प्रदूषण सिटी के अंतर्गत आते है। इनमें करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल, भिवानी, बहादुरगढ़, फरीदाबाद और रोहतक आदि काम नाम शामिल है। इन शहरों में प्रदूषण का स्तर हानिकारक लेवल पर है। इसके अलावा भारत के 10 शहर भी इस लिस्ट में शामिल है। जो खतरनाक स्तर पर वायु प्रदूषण की मार झेल रहे है। इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) भी 200 के पार रिकॉर्ड किया गया है।
हर साल बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सख्ती शुरू कर दी है। साथ ही उन शहरों की लिस्ट मांगी है। जो अधिक प्रदूषण वाले क्षेत्र है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हरियाणा सरकार ने उन वाहनों को भी बंद करने का फैसला लिया है। जिनकी उम्र पूरी हो चुकी है।
पराली जलाने के मामले
अक्टूबर से नवंबर के महीने में धान की फसल की कटाई शुरू हो जाती है। जिसके बाद पराली जलाई जाती है। अबकी बार 871 मामले पराली जलाने के सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा फतेहाबाद जिले में 128 जगह पराली जलाने के केस मिले हैं। इसके अलावा में अंबाला में 114, कैथल में 113, जींद में 110, कुरूक्षेत्र में 102, करनाल और हिसार में 55-55, यमुनानगर में 53, सोनीपत में 49 जगह पराली जलाई गई। इसके अलावा पलवल में 45, पानीपत में 18, सिरसा में 13, रोहतक में 7, झज्जर में 4, भिवानी और फरीदाबाद में दो-दो और पंचकूला में 1 जगह पराली जलाने के मामले सामने आए हैं।