हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा ग्रामीण आंचल की समस्याओं को जमीनी स्तर पर जानने व लोगों से रूबरू होने के लिए दो अप्रैल 2023 से आरंभ किया गया जनसंवाद कार्यक्रम के प्रति लोगों में काफी उत्साह है। महिलाएं भी बढ़चढक़र मुख्यमंत्री को सुनने व अपनी समस्याएं रखने के लिए कार्यक्रम में आ रही हैं।
महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिले में 28 जुलाई से आरंभ हुए जनसंवाद एक मिसाल बन गया, किसी ने सोचा भी नहीं था कि केवल एक घंटे में समस्या का समाधान हो जाएगा। 28 जुलाई को जनसंवाद के दूसरे चरण के पहले दिन कनीना में भडफ़ गांव की संतोष देवी ने मुख्यमंत्री के समक्ष वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना में नाम दर्ज न होने की समस्या उठाई जबकि उनके पास परिवार पहचान पत्र सहित सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध थे। इस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल जिला समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए इन 3 दिनों के अंदर-अंदर महिला की पेंशन बन जानी चाहिए।
डीएसडब्ल्यूओ ने तत्काल महिला के कागजात लिए और अपने कार्यालय में इस मामले के बारे सूचना दी। एक घंटे के अंदर-अंदर संतोष देवी का वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया और उसी दिन अटेली के जनसंवाद में मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से संतोष देवी को प्रमाण पत्र प्रदान किया। संतोष देवी और उसके परिवार का तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, क्योंकि वे 10 माह से नारनौल, महेंद्रगढ़ व कनीना कार्यालयों के चक्कर काट-काटकर थक चुके थे। किसी ने उनको सलाह दी कि आज मुख्यमंत्री कनीना मंडी में आ रहे हैं क्यों ना आप इस मु्द्दे को उनके समक्ष जनसंवाद कार्यक्रम में उठाएं। संतोष देवी ने ऐसा ही किया और समस्या का हल हुआ।
इसी प्रकार, रविवार को गंगायचा अहीर गांव में जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना की सूची में नाम शामिल करवाने वालों की भीड़ देखने को मिली। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले केवल वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना वालों के ही आवेदन एकत्रित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। लक्ष्मी देवी भी संतोष देवी के बाद अहीरवाल की दूसरी महिला बनी, जिनको वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना का प्रमाण पत्र मात्र एक घंटे में मिला है। मुख्यमंत्री ने भी लक्ष्मी देवी को प्रमाण पत्र व शॉल देकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंवाद कार्यक्रम को करने उनका हेतु ही यही है कि महिलाओं सहित जो गरीब व्यक्ति अपनी बात अधिकारियों के समक्ष कह नहीं सकते थे, वे स्वयं उनसे कहें और आज उन्हें संतुष्टि है कि आम महिलाओं से लेकर महिला सरपंच तक भी अपने गांव की विकास योजनाओं को सीधा उनके समक्ष रख रही हैं।