देश रोज़ाना: केंद्र सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पास किया जिसका असर अब हरियाणा में देखने को मिल रहा है। जैसे ही यह बिल पास हुआ वैसे ही हरियाणा में लोकसभा और राज्यसभा की तस्वीर बदल गई है। लोकसभा में 30 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी है। हालांकि केंद्र के इस नए बिल का लाभ 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महिलाओं को नहीं मिल पाएगा। वहीं महिलाओं को पंचायत में पहले से ही 50 प्रतिशत का आरक्षण मिल रहा है।
हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें है। और विधानसभा में 90 सीटें है। अब लोकसभा में 3 सीटें और बढ़ाई गई है। इन सीटों में 4 सीटें महिलाओं के नाम पर आरक्षित की गई है। लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन वर्ष 2026 में होना है। इस स्थिति में विधानसभा में सीटें बढ़कर 117 हो जाएंगी जिनमें 39 सीटें महिलाओं की होंगी। राजनीति के दृष्टिकोण से महिलाओं के लिए कोइ खास नहीं रहा है। 45 वर्षों में केवल 6 महिलाएं ही लोकसभा का चुनाव जीत पाई है। आजतक कोई भी महिला निर्दलीय नहीं जीती है।
यह महिलाएं ही जीत पाई है।
कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा (BJP) की सुधा यादव और सुनीत दुग्गल और इनेलो की कैलाशो सैनी ही हरियाणा गठन के बाद लोकसभा में पहुंच पाईं हैं।
हरियाणा के कुछ जिले ऐसे है, जहां से अभी तक महिलाओं को प्रतिनिधित्व नहीं मिल है। इनमें करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत जिले शामिल हैं। इन जिलों से एक भी महिला सांसद संसद तक नहीं पहुंच पाई। सबसे ज्यादा तीन बार कांग्रेस की कुमारी सैलजा संसद पहुंचीं। वह दो बार अंबाला और एक बार सिरसा आरक्षित सीट पर चुनी गईं।