देश रोज़ाना: शुक्रवार को पलवल जिले के गांव सिहौल स्थित धानुका एग्रीटेक रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी सेंटर में गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ बागवानी विभाग हरियाणा के पूर्व निदेशक डॉ.बी.एस.सहरावत, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल के उपनिदेशक डॉ.अनिल सहरावत, जिला बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक, कृषि विशेषज्ञ डॉ.बी.डी.पाठक ने दीप प्रज्वलित कर किया।
डॉ.बी.एस.सहरावत ने कहा कि देश की निरंतर बढ़ती हुई आबादी के लिए खाद्यान्न की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उत्पादन एवं पौध संरक्षण तकनीकी की अहम भूमिका है। और आज के समय मे लोग अधिक फसल उत्पादन करने के लिए अंधाधुन कीटनाशक दवाओं, खरपतवार नाशक, कवकनाशी , फफूंदनाशी आदि रसायनों का उपयोग बढ़ता जा रहा है। जिससे पर्यावरण और मृदा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । पर्यावरण पर इन रसायनों के बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए अपनाए गए विभिन्न योजना बंद वैज्ञानिक पद्धतियों की मिली-जुली और सुरक्षा पद्धति को एकीकृत कीट प्रबंधन कहते हैं। इस पद्धति में उपलब्ध संसाधनों का सही समय पर व सही मात्रा में उपयोग करते हैं जिसमें कीट व्याधि के नियंत्रण के साथ उत्पादन भी बढ़ता है।
जिला बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक ने बागवानी विभाग द्वारा चलाई जा रही स्कीमों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि फल, फूल और सब्जियों की खेती कर किसान अपनी आमदनी में बढोतरी कर रहा है। सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं के अनुसार किसानों को सब्सिडी प्रदान की जा रही है। किसान बागवानी विभाग से संपर्क कर योजनाओं का लाभ उठा सकते है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. अनिल सहरावत ने कहा कि किसान अपनी फसलों का “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पर पंजीकरण करवा सकते है। सरकार द्वारा जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। “मेरा पानी मेरी विरासत” योजना के अनुसार किसान धान की फसल को छोडक़र दलहनी फसलों पर ध्यान केंद्रित कर रह है। किसान फसल चक्र को अपनाऐं। भूमि के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए रासायनिक खादों का प्रयोग कम करें।
इस अवसर दीपक वर्मा, जितेंद्र कुमार, बिजेंद्र सिंह दलाल, डॉ.वीरेंद्र कुमार, डॉ.मनोज कुमार, डॉ. विश्वास वैभव, डॉ.राजेश कुमार सहित आसपास के गांवों के सैकड़ों किसान मौजूद थे।