रेवाड़ी। पिछले करीब एक सप्ताह से झुलसती गर्मी की पीड़ा सहन कर रहे जिलावासियों को आज हुई बरसात से हलकी राहत मिली। इस बरसात से बेशक तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं आई , लेकिन चारों ओर हुए जलभराव से लोगों को ठंडक का अहसास जरूर हुआ। करीब एक घंटा हुई बरसात से चारों ओर पानी ही पानी हो गया।
पिछले करीब दस दिनों से जिले में भीष्ण गर्मी पड़ रही थी। 44-45 डिग्री तापमान में लोग झुलस रहे थे तथा बरसात की उम्मीद के साथ आसमान की ओर टकटकी लगा रहे थे। हालांकि इन दस दिनों में कई बार मौसम ने करवट ली , लेकिन बादल बिन बरसे ही निकल गए। शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी से सभी परेशान थे। इंद्र देवता कुछ मेहरबानी कर दें इसी प्रार्थना के साथ लोग प्रसाद भी वितरित करने लगे थे। मंगलवार की सुबह से ही काफी गर्मी थी।
आसमान में सूर्य की तेज रोशनी फैली हुई थी। गर्मी से लोगों का बुरा हाल था, इसलिए दिन के समय रोड पर भी लोगों की ज्यादा भीड़ नहीं थी। शाम करीब साढ़े चार बजे एकाएक मौसम बदल गया। सूर्य की रोशनी में नहाया आकाश, अचानक काले बादलों से ढक गया। सूर्य ने भी बादलों की चादर ओढ़ ली और कुछ ही देर में तेज बरसात शुरू हो गई। निश्चिततौर पर गर्मी से परेशान लोगों के लिए यह बारिश काफी राहत देने वाली थी , जिसका लोगों ने जमकर लाभ भी उठाया। लोग बरसात का आनंद लेते हुए दिखाई दिए। बरसात के कारण मौसम में ठंडक भी हुई।
बरसात ने खोली नप व जनस्वास्थ्य विभाग की पोल
मंगलवार को हुई बरसात ने नगर परिषद व जनस्वास्थ्य विभाग की सफाई व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। बेशक नगर परिषद ने शहर में बने बड़े नालों को साफ करा दिया , लेकिन गली-मौहल्लों व अप्रोच रोड पर बनी बड़ी नालियों की ओर अधिकारियों को ध्यान नहीं गया , जिससे आज हुई बरसात से पहले से ही कीचड़ से भरी नालियां ओवरफ्लो हो गई और उनका गंदा पानी सडक़ों पर बह निकला।
इसी प्रकार सीवर भी ओवरफ्लो हो गए और उनकी गंदगी सडक़ों पर फैल गई। बता दें कि शहर में सीवर जाम की समस्या बहुत रहती है। इसका एक कारण भी सामने आया है कि जनस्वास्थ्य विभाग के पास सीवरमैन की कमी की समस्या है , जिसकी वजह से पूरी तरह सीवर साफ नहीं हो पाते। कर्मचारी सीवरों की सफाई तो करते है , लेकिन वे केवल उन्हें चालू करके चले जाते है , उनमें भरी गंदगी जल्दी से निकाली नहीं जाती , जिससे कुछ ही दिनों में सीवर से बदबूदार पानी व गंदगी बाहर निकलती रहती है।