देश रोज़ाना: हरियाणा में विधानसभा कुच के दौरान एक महिला आशा वर्कर की मौत हो गई। जिसपर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। विपक्ष ने इस मुद्दे को गंभीरता से ले लिए है। और भाजपा-जजपा सरकार को इस मुद्दे पर घेरा है।
छतीसगढ़ की कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा का कहना है कि प्रदेश के लिए यह बेहद दुखद एवं शर्मनाक खबर है। पुलिस के साथ धक्का मुक्की में बेसुध हुई आंदोलनरत आशा वर्कर पारुल की इलाज के दौरान मौत हो गई। क्रोध और संवेदना से मन भरा हुआ है। हरियाणा सरकार सत्ता के लालच में गिद्द बिन चुकी है। 2 बच्चे, मां की ममता से हमेशा-हमेशा के लिए अलग हो गए।
रक्षाबंधन के दिन एक भाई की कलाई हमेशा-हमेशा के लिए सूनी हो गई। आशा वर्करों का आंदोलन हफ्तों चलता रहा, लेकिन सरकार ने सुध नहीं ली। हरियाणा सरकार ने महिलाओं पर बल प्रयोग किया, धक्का मुक्की हुई, गिरफ्तारी की गई। आशा वर्करों से बात करके प्रदेश सरकार उनकी समस्या का समाधान निकालती तो आज आशा वर्कर पारुल हमारे बीच होती।
हरियाणा के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार के अहंकार और जिद ने एक और जान ले ली। रक्षाबंधन के दिन यमुनानगर से एक आंदोलनकारी आशा वर्कर बहन की मौत की खबर सुनकर दुखी हूं। मृतक आशा वर्कर को श्रद्धांजलि और परिवार के प्रति गहरी संवदेनाएं व्यक्त करता हूं। सरकार से आग्रह है कि अपना अहंकार छोड़े और आशा वर्करों की मांग पर मानवीय दृष्टिकोण से विचार करके उन्हें स्वीकार करे।
राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि रक्षाबंधन के पर्व पर खट्टर सरकार के हठ एक बहन की जान ले ली। प्रदेश की 20 हजार आशा वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत हैं। उनकी बात सुनने की बजाय, उनको राहत देने की बजाय, खट्टर सरकार उनसे पुलिसिया धक्का मुक्की करवा रही है। नतीजा आज पारुल अपनी जान से हाथ धो बैठी है।
यमुनानगर में आंदोलनरत आशा वर्कर की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा।