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अदालतें करती हैं सभी के साथ समान व्यवहार, गरीबी न्याय में बाधा नहीं: सीजेएम

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राष्ट्रीय लोक अदालत के अंतर्गत जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं चेयरमैन पुनीश जिंदिया के नेतृत्व में जिला अदालत पलवल में प्री-लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, पलवल, मेनका सिंह ने किया।

कार्यक्रम के दौरान, जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीश जिंदिया ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 से संबंधित मामलों का निपटारा किया। इनमें से एक महत्वपूर्ण मामला निशा देवी बनाम सुरेश मौर्य व अन्य का था। इस मामले में एक सड़क दुर्घटना के कारण एक गरीब मजदूर धर्मवीर की मृत्यु हो गई थी। धर्मवीर अपने परिवार का एकमात्र सहारा था, और उसकी मृत्यु के बाद उसके बच्चे और माता-पिता बेसहारा हो गए।

मामले की गंभीरता और मृतक की पारिवारिक व आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्री-लोक अदालत में इस केस का त्वरित निपटारा किया गया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीश जिंदिया ने इस मामले में मृतक के परिजनों को बीमा कंपनी (प्रतिवादी नं. 3) द्वारा ₹65 लाख का मुआवजा दिलाने का आदेश दिया। इस मुआवजा राशि से पीड़ित परिवार को राहत मिल सकेगी।

इस निर्णय से यह सिद्ध होता है कि न्याय व्यवस्था सभी के लिए समान है और अदालतों में अमीर-गरीब के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाता। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मेनका सिंह ने इस अवसर पर कहा कि न्याय सभी के लिए सुलभ है और अदालतें सभी के साथ समान व्यवहार करती हैं।

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