कल्पना करके देखिए यदि आप पढ़ाई करने के लिए किसी बड़े संस्थान में जाएं और वहां आपको अध्यापक ही ना मिले तो आपको कैसा लगेगा। बिल्कुल वैसा ही महसूस होगा जैसे तालाब में मछलियों के लिए पानी न हो। वैसा ही कुछ हो रहा है चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) में। यूनिवर्सिटी में भाषा और आर्ट विभाग रिसर्च स्कॉलर और गेस्ट फैकल्टी का एक भी प्रोफेसर नहीं है। जिसके कारण पंजाब यूनिवर्सिटी में आने वाले छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के ना होने का कारण है शिक्षकों की नियमित रूप से भर्ती ना होना। 2014 के बाद से पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है और जो शिक्षक 2014 से रिटायर्ड हुए हैं उनके स्थान आज भी खाली पड़े हुए हैं जिसकी मार विश्वविद्यालय में आने वाले छात्र-छात्रों को झेलनी पड़ रही है। पीएचडी कर रहे छात्रों को सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पंजाब विश्वविद्यालय लंबे समय से आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है जिसके चलते नियमित रूप से शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही है इसके अलावा विश्वविद्यालय में रखे उपकरणों के रखरखाव में भी परेशानियां आ रही है। नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की तरफ से केंद्र सरकार से पंजाब यूनिवर्सिटी को 51.89 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी करने की मांग की थी।
पंजाब यूनिवर्सिटी के रजिस्टर डॉ. वाईपी शर्मा का कहना है कि विभागों को खाली पदों की स्क्रीनिंग के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसकी जानकारी प्रशासन के पास आने के बाद खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। जिस विभाग में जितने भी पद खाली हैं उन सब को जल्द भर दिया जाएगा।