राजेश दास
केंद्र और प्रदेश सरकार शहर को स्मार्ट बनाने और खेलों को बढ़ावा देने के लिए पैसा पानी की तरह बहा रही है। लेकिन न तो शहर स्मार्ट बन पाया है और न ही करोड़ों खर्च होने के बावजूदराजा नाहर सिंहक्रिकेटका निर्माण ही पूराहो पाया है। किसी जमाने में इस क्रिकेट स्टेडियम में अंर्तराष्ट्रीय मैचों का आयोजन होता था। जिसे देखने के लिए दुनिया भर के देशों से क्रिकेट प्रेमी यहां आते थे। राजा नाहर सिंह स्टेडियम की बदौलत ही शहर को अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल पाई थी। लेकिन यह अंर्तराष्टीय क्रिकेट स्टेडियम राजनीति का शिकार होने की वजह से जर्जर हो गया है। मैदान जब खेलने लायक नहीं रहा तो यहां हैलीकॉप्टर उतारे जाने लगे। इसके बाद यहां तहसील कार्यालय खोलने का प्रयास भी किया गया। खेल प्रमियों के विरोध के कारण यहां तहसील शुरू नहीं हो पाई। खेल प्रमियों की मांग पर वर्तमान प्रदेश सरकार ने नगर निगम के माध्यम से स्टेडियम का निर्माण शुरू करा दिया। टैंडर के बाद इस की लागत दो बार बढ़ाई गई। लेकिन स्टेडियम तैयार नहीं हो पाया है। पिछले करीब आठ महीने से निर्माण कार्य बंद होने से जो थोड़ा बहुत निर्माण हुआ था, अब वह भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
राजनीति से हुआ बदहाल
शहरकी शान के रूप में प्रसिद्ध राजा नाहर सिंह क्रिकेट स्टेडियम में वर्ष 2006 तक आठ अंर्तराष्ट्रीय और दर्जनों रण जी क्रिकेट मैचों को सफल आयोजन किया जा चुका है। लेकिन इसके बाद यह अंर्तराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान राजनीति का शिकार होने लगा। स्टेडियम को खराब करने के लिए पहले जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में चल रहे जिला क्रिकेट एसोसिएशन को पूरी तरह भंग करने के बाद एक अलग एसोसिएशन गठित कर दी गई। जिसे देखते हुए शहर के प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी संजय भाटिया अदालत की शरण में चले गए। उन्हें नीचली अदालत के साथ हाईकोर्ट में भी सफलता मिली। लेकिन इसके बावजूद जिला क्रिकेट एसोसिएशन को सम्भालने के लिए कोई आगे नहीं आया। ऐसे में देखरेख के अभाव में स्टेडियम लगातार बदहाली का शिकार होता चला गया। लेकिन इसकी बिगड़ती हुई दशा को देखकर जनप्रतिनिधियों ने इसके जीर्णाद्वार के लिए कभी आवाज उठाने का प्रयास नहीं किया। शहर के कुछ क्रिकेट खिलाड़ी जरूर इस अंर्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पुर्ननिर्माण की मांग उठाते रहे।
स्टेडियम नष्ट करने का किया प्रयास
देखरेख और मरम्मत के अभाव में राजा नाहर सिंह स्टेडियम धीरे धीरे खेलने लायक नहीं रहा। जिसके कारण इस स्टेडियम में सीएम और राज्यपाल के शहर में आगमन के दौरान हैलीकॉप्टरों को उतारा जाने लगा। बडखल तहसील का गठन होने के बाद स्टेडियम की इमारत में प्रशासन ने तहसील कार्यालय शुरू करने की कवायत शुरू कर दी। जिसे लेकर संजय भाटिया समेम कई क्रिकेट खिलाडिय़ों ने इसका जमकर विरोध शुरू कर दिया। अंत मंत्री अनिल विज के हस्तक्षेप की वजह से कार्यालय नहीं खुल पाया। स्टेडियम के लिए क्रिकेट प्रेमियों द्वारा लगातार संघर्ष किया जाने लगा। लगातार हो रहे संघर्ष को देखते हुए आखिरकार इस स्टेडियम का जीर्णोद्वार की घोषणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कर दी है। जिसके बाद नगर निगम द्वारा स्टेडियम के पुर्ननिर्माण के लिए गुजरात की रणजीत बिल्डवेल कंपनी को 115 करोड़ रुपये में ठेका दे दिया। जिससे शहर के लोगों में प्रत्यक्ष रूप से अंर्तराष्ट्रीय क्रिकेट मैच दोबारा से देखने की उम्मीद जाग गई। लेकिन यह कंपनी तय समय में स्टेडियम का निर्माण करने में सफल नहीं हो पाई।
स्टेडियम निर्माण में भ्रष्टाचार की आशंका
शहर के क्रिकेट प्रेमियों का कहना है कि नगर निगम में कई बड़े घोटाले होने के बावजूद स्टेडियम के निर्माण की जिम्मेदारी न जाने क्यों सौंप दी। निगम ने कुछ समय बाद ही निर्माण की रकम 115 करोड़ से बढ़ाकर 123 करोड़ रुपये कर दी थी।इसकेकुछ समय बाद 99 करोड़ रुपये और बढ़ाकर निर्माण की लागत 222 करोड़ रुपये पर पहुंचा दी। लेकिन इसके बावजूद ठेकेदार कंपनी ने स्टेडियम का निर्माण लंबे समय से अधर में लटकाया हुआ है। निगम अधिकारियों और ठेकेदार की लापरवाही से स्टेडियम का निर्माण करीब आठ महीने से बंद पड़ा हुआ है। क्रिकेट खिलाडिय़ों द्वारा लगातार शिकायत करने पर निगरानी कमेटी के चेयरमैन विधायक नरेंद्र गुप्ता ने विधायक नीरज शर्मा, सीमात्रिखा, विशनलाल सैनी, घनश्याम सौरोत और अधिकारियों के साथ जुलाई 2022 में स्टेडियम का दौरा किया था। कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट भेज दी थी। वहीं शिकायत मिलने पर खेल मंत्री रहे संदीप सिंह ने भी स्टेडियम को दौरा किया था। लेकिन इसके बावजूद दोबारा इस स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू करवाने की जरूरत महसूस नहीं की गई।
कमेटी बनाने की मांग
राजा नाहर सिंह क्रिकेट स्टेडियम बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक एवं पूर्व रणजी खिलाड़ी संजय भाटिया ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बावजूद निगम को गलत तरीके से निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई। ठेकेदार कंपनी के पास इतने बड़े निर्माण का अनुभव भी नहीं है। इसलिए सरकार को स्टेडियम के निर्माण कार्य की देखरेख के लिए अधिकारियों और विशेषज्ञ इंजीनियरों के साथ कुछ खिलाडिय़ों को शामिल कर कमेटी का गठन करना चाहिए।