औद्योगिक नगरी में जमीन से निकलने वाले खारे पानी ने जहां एक ओर लोगों में स्टोन की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। वहीं किडनी में छोटा-सा स्टोन होने पर इसके प्रति लापरवाही बरतने पर किडनी फेलियर जैसे मामले सामने आ रहे हैं। यह कहना कि ग्रेटर फरीदाबाद स्थित एकॉर्ड अस्पताल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट डायरेक्टर डॉ. सौरभ जोशी का। उन्होंने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट के अधिकतर मामलों में किडनी स्टोन की समस्या देखने को मिली है।
शहर के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ जोशी ने बताया कि उनके अस्पताल में अब तक करीब 46 किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई हैं, जिनमें से 6 ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी स्टोन के कारण हुई। उन्होंने कहा कि किडनी में स्टोन के लक्षण काफी साधारण होते हैं। ये आसानी से समझ में नहीं आते और इनका इलाज नहीं किए जाने पर स्टोन का साइज बढ़ जाता है। इसके बाद यह दर्द करना तो बंद कर देता है लेकिन आगे चलकर किडनी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
इसके अलावा खानपान की जो स्थिति है, उसकी वजह से छोटा-सा स्टोन भी किडनी खराब कर रहा है। डॉ. जोशी ने कहा कि शहर का पानी हार्ड है और यहां का खानपान स्टोन के मामले बढ़ा रहा है। इसका सबसे अधिक असर किडनी पर पड़ रहा है।
हमारे पास आने वाले 10 से 15 प्रतिशत मामलों में यह पाया गया कि किडनी स्टोन के कारण खराब हुई है। यह ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमरिच फूड तो खाते हैं, लेकिन पर्याप्त व स्वच्छ पानी नहीं पीते। इससे किडनी छोटे से स्टोन के कारण खराब हो जाती है। इसके लिए लोगों ने पानी में हार्डनेस कम करने के लिए घर में आर ओ विद ओजोनेशन सिस्टम लगवाएं। जहां हार्डनेस ज्यादा है वहां लोग डी आयोनाइजर लगवाएं। यह सिस्टम पानी में केमिकल को कम करता है। यदि घर में नॉर्मल फिल्टर का यूज कर रहे हैं तो फिल्टर पानी को भी उबाल कर पीएं।