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स्मार्ट सिटी: अरबों रुपये खर्च, फिर जानलेवा साबित हो रही सड़के

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राजेश दास

नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार और विकास के नाम पर करवाए गए विनाश के कारण सरकार की चारों तरफ बदनामी हो रही है। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना अयोग्य एवं भ्रष्ट अधिकारियों के कारण धूमिल होता जा रह है। नगर निगम द्वारा वार्ड वाइज करोड़ों रुपये सड़कों पर खर्च किया गया था। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का सरकार का सपना भ्रष्टाचार की वजह से टूट चुकी है। चारों तरफ सड़कों पर गड्ढों और जलभराव की समस्या से आम जनता बुरी तरह त्रस्त हो चुकी है। शहर की सड़कों के गड्ढों और जलभराव से छुटकारा न मिलते देखकर लोगों को प्रदर्शन तक करने पड़ रहे है। गत दिवस टूटी सड़क के कारण एम्बुलेंस न पहुंच पाने की वजह से एक महिला की जान चली गई। इस घटना के विरोध में स्थानीय लोगों के साथ आम आदमी पार्टी के कार्यकताओं द्वारा निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया। सड़कों के गड्ढों और जलभराव के कारण लोग दुर्घटना काशि का रहो रहे हैं। निगम मुख्यालय के अतिरिक्त आयुक्त के कार्यालय सामने सड़क पर गहरे गड्ढों के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं।

अधिकारियों की नाकामी का नतीजा

शहर की टूटी और गड्ढे दार सड़क, ओवरफ्लो सीवर व नालियां और जलभराव की समस्या सरेआम स्मार्ट सिटी का मजाक उड़ा रहे हैं। वहीं इन समस्याओं की वजह से शहर के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। सडृकों पर बने गड्ढों के कारण हर वर्ग के लोग बुरी तरह परेशान हो चुके हैं। इन समस्याओं को लेकर आए दिन लोग निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं गत वर्ष किसी अज्ञात व्यक्ति ने बड़खल विधानसभा क्षेत्र की विधायक पर व्यंग कसते हुए गड्ढों और जलभराव को लेकर इलाके में बोर्ड लगवा दिये थे। जिसमें लिखा था कि शहर में एक नहीं अनेक झील है।

लेकिन इसके बावजूद निगम अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया। निगम अधिकारियों का अपने कार्यालय के सामने की सड़क पर ध्यान नहीं है। अतिरिक्त आयुक्त कार्यालय के सामने सड़क पर खतरनाक गड्ढे बने हुए हैं।

चार एजेंसियों कर रही काम

शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए एमसीएफ और एचएसवीपी के साथ स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड और एफएमडीए भी काम कर रहे हैं। दो साल पूर्व सीएम ने रेलवे अंडरपास में जलभराव की समस्या दूर करने की जिम्मेदारी एफएमडीए को दी थी। लेकिन यह समस्या आज भी बरकरार है। बरसात आने पर पुलिस को अंडरपास का रास्ता बंद करना पड़ता है। समस्या दूर करने की बजाए स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने यातायात नियमों के प्रति जागरूकता लाने के लिए चाचा चौधरी की कॉमिक्स पर लाखों खर्च कर दिये थे। अन्य कई फिजुल के कामों में पैसा व्यर्थ किया है।

लेकिन स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने सडकों की हालत की तरफ ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं कर रहे हैं। शहर में रेडलाइट सिग्नल और सीसीटीवी कैमरे काफी संख्या में खराब पड़े हुए हैं। ऐसे में वाहन चालक नियमों का पालन कैसे करेंगे।

अरबोंचढ़ गए भ्रष्टाचार की भेंट

शहर की हालत के लिये सरकार नहीं बल्कि नगर निगम और संबंधित विभागों के अधिकारी जिम्मेदार हैं। नौ सालों के दौरान निगम द्वारा कई परियोजनाओं के तहत अरबों रुपये विभिन्न तरह के विकास कार्यो पर खर्च किए गए हैं। प्रत्येक वार्ड में करोड़ों रुपये की लागत से सड़कों और गलियों का निर्माण करवाया गया है। इनमें से ज्यादातर सड़के घटिया सामाग्री के इस्तेमाल के कारण टूट चुकी हैं। करोड़ों की लगात से बनी गौंछी ड्रेन रोड की भी यहीं हालत है। हाल ही बनी यह सड़क भी टूटनी शुरू हो गई है। यहां तक कि ठेकेदारों को बिना काम के भी भुगतान किये गए। नगर निगम और स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा नालियों के निर्माण पर खूब पैसा खर्च किया गया। लेकिन इन्हें कनेक्ट नहीं किया जा सका। सफाई पर करोड़ों खर्च करके भी सीवर लाइनें ओवरफ्लो हो रहीहैं।

जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई

समाजसेवी वीर प्रताप शर्मा का कहना है कि शहर में जमीनी स्तर पर कोई विकास कार्य नजर नहीं आ रहा है। साफ है कि नगर निगम अथवा अन्य एजेंसियों द्वारा कागजों में विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। जिसका खामियाजा शहर की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। हादसों के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई होनी चाहिए।

विकास के नाम दे रहे परेशानी

समाज सेवी धीरज राणा का कहना है कि शहर के लोग सड़क, पानी और सीवर जैसी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। विकास के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जाता है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद मौके पर कुछ दिखाई नहीं देता। सडकों का ठीकठाक बेस होने के बावजूद उन्हें उखाड़ कर नए सिरे बनाया जा रहा है। जबकि इन्हें मरम्मत की जरूरत है।

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