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ब्रेन ट्यूमर का नाक से किया सफल ऑपरेशन

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बदरपुर बॉर्डर निवासी उर्मिला ने बताया कि उनकी धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम हो रही। दिखाई देना काफी कम हो गया था। पास के क्लीनिक में आंखों की जांच कराई तो वहां आंखों में कोई दिक्कत नहीं आई। इसके बाद एमआरआई कराया। जिसमें ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि हुई। इसके बाद वह उच्च स्तरीय जांच के लिए ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल पहुंची। अस्पताल में ब्रेन ट्यूमर का नाक के रास्ते सफल ऑपरेशन किया गया है। ऑपरेशन के बाद मरीज की आंखों की रोशनी फिरसे लौट आई है। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। इस सफल ऑपरेशन को अस्पताल के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट डायरेक्टर डॉ. हिमांशु अरोड़ा की टीम अंजाम दिया। इसके लिए मरीज ने डॉक्टर का आभार व्यक्त किया। अस्पताल चेयरमैन डॉ. प्रबल रॉय ने सफल ऑपरेशन के लिए टीम को बधाई दी।

वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. हिमांशु अरोड़ा ने मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी। मरीज ने बताया कि शुरूआत में ऑपरेशन की बात सुन कर लगा दी कि डॉक्टर दिमाग को पहले की तरह पूरा खोल कर ऑपरेशन करेंगे। डॉक्टर ने समझाया कि घबराने की जरूरत नहीं है। नई तकनीक के माध्यम से यह ऑपरेशन नाक से किया जाएगा और सफल भी रहेगा। ऑपरेशन के बाद जल्द स्वस्थ होकर घर जा सकती है। मरीज की सहमति के बाद डॉ. हिमांशु, डॉ. मनीष और डॉ. विपाशा की टीम ने ऑपरेशन शुरू किया और डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन के बाद नाक के रास्ते से  ट्यूबर को बाहर निकाल दिया गया। ऑपरेशन के बाद उर्मिला अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।  डॉ. हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि ब्रेन में पिट्यूटरी ग्रंथि (जिसे हाइपोफिसिस भी कहा जाता है) एक छोटी, मटर के आकार की ग्रंथि है जो हाइपोथैलेमस के नीचे मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है।

उर्मिला के ब्रेन की इस ग्रंथि में एक ट्यूमर हो गया था। जिसकी वजह से दोनों आंखों की देखने की झमता कम हो गई थी। उन्होंने एक आंख के द्वारा को दिया जिसमें यह ट्यूमर मिला। ईएनटी सर्जन के सहयोग से नाक  के रास्ते ट्यूमर की सफल सर्जरी की। ऑपरेशन के अगले दिन से ही मरीज की आंखों की रोशनी ठीक होने लगी। यह स्वयं मरीज ने हमें बताया। उन्होंने कहा कि ब्रेन ट्यूमर कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। आज की मॉर्डन न्यूरो सर्जरी की तकनीक के चलते न्यूरो सर्जरी बहुत सेफ और इफेक्टिव हो रही हैं। इसलिए बीमारी का इलाज समय पर करवाना और बीमारी की जांच समय पर करानी है। यदि समय रहते हम बीमारी को पकड़ लेते हैं तो हम उसे ठीक कर सकते थे।

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