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तटवर्ती कालोनियों में बाढ़ से हजारों बे कसूरों को होना पड़ रहा बेघर

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राजेश दास

कुदरत के साथ छेड़छाड़ करने के हमेशा खतरनाक परिणाम सामने आते रहे हैं। यमुनानदी के तटवर्ती इलाके के लोग भी इसी वजह से परेशानी झेलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। क्योंकि वे यमुनानदी की हद में मकान बनाकर रह रहे हैं। इसके लिए इन इलाकों में रहने वाले लोग जिम्मेदारी नहीं है। इन इलाकों में रहने वाले भोला भाले लोगों को भू माफियाओं ने प्रशासन की मिली भगत से अपना शिकार बनाया है। इन भू माफियाओं ने यमुना नदी की हद  में स्थित किसानों की जमीनों को औने पौने दामों को खरीद लिया।  

जिसके बाद भू माफियाओं ने खेती की इस जमीन पर अवैध कालोनियां काट कर गरीब तबके के भोले भाले लोगों को छोटे छोटे प्लॉटकाट कर बेच दिए। यमुनानदी का जलस्तर बढ़ते ही यह अवैध कालोनियां जलमग्न हो गई है। जिले के अधिकारी और नेतागण इस इलाके का दौरा कर लोगों को राहत देने के दावें कर रहे हैं। लेकिन जिस समय यहां पर कालोनियां बस रही थी, उस समय किसी ने भी यहां ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की। यहां तक कि इन कालोनियों में बिजली और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई हैं।

प्रशासन की मिली भगत से हुआ खेल

बसंतपुर और तटवर्ती इलाकों में मामला सिर्फ प्लॉटिंग तक ही सीमित नहीं था। गरीब तबके के लोगों को फंसाने के लिए भू माफियाओं द्वारा कॉलोनी में सबसे पहले धार्मिक स्थल के लिए 100 वर्ग गज का प्लॉट छोड़ा जाता था। जिससे लोग भूमाफियाओं के झांसे में आकर खुद जमीन खरीदते हैं और रिश्तेदारों और परिचितोंको भी दिलवाते हैं। इन कालोनियों के बसने के दौरान प्रशासन की तरफ से न जाने किन कारणों से बांध के ऊपर ही सडक का निर्माण करवा दिया गया। जिसका फायदा इन भू माफियाओं ने लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए जमकर उठाया। इसके अलावा कई जगह पर अवैध तरीके से बांध को काट कर कालोनियों के लिए रास्ता भी बनाया गया हैं। इस तरह के तमाम कारणों की वजह से यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाकों में बाढ़ जैसी समस्या उत्पन्न हो रही हैं।

प्रशासन ने दी कालोनियों में सुविधाएं

प्रशासन ने तटवर्ती इलाकों एक आध बार दिखावे के लिए तोड फोड़ की है। लेकिन कालोनियों में निरतंर मकान बनते चले गए। बसंतपुर का यह इलाका धीरे धीरे घनी आबादी बाला बनता चला गया। बात यहीं तक सीमित नहीं है। भू माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए बिजली निगम की तरफ से यहां के मकानों में बिजली के कनेक्शन भी दिए गए हैं। इन मकानों में बिजली निगम के मीटर भी लगे हुए हैं। जबकि इन कालोनियों के बसने के शुरूआती दिनों में प्रशासन ने यहां बिजली के कनेक्शन न देने और बिजली कनेक्शन देने वाले निगम के एसडीओ अथवा जेई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की बात कहीं थी। जबकि इलाके के तमाम मकानों में बिजली के कनेक्शन लगे हुए हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से बिजली निगम के किसी भी अधिकारी के खिलाफ आज तक कानूनी कार्रवाई नहीं की गई।

अरावलीकी तरह यमुना पर भी घोटाला

अरावली पर्वत पर अवैध खनन, पेड़ों की कटाई और अवैध कब्जे से शहर में पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है। जिससे बडखल झील सूख चुकी हैं। जंगल कटने से शहर में प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा हैं। यहीं स्थिति यमुनानदी की हैं। यमुनानदी का भी खनन माफियाओं द्वारा लगातार दोहन किया जा रहा है। प्रतिबंध के बावजूद यमुनानदी से लगातार खनन कर रेती चोरी की जा रही हैं। अब भूमाफियाओं द्वारा नदी की हद में कालोनियां बसा दिए जाने के कारण स्थिति खतरनाक होती जा रही है। इस साल यमुनानदी का जल स्तर बढ़ने से तटवर्ती अवैध कालोनियां पूरी तरह जलमग्न हो गई। गनीमत यह रहा कि पानी बढ़ने से अभी तक किसी की जान को नुकसान नहीं हुआ हैं। यदि इसी तरह से इलाके में मकान बनते रहे तो आने वाले समय में खतरनाक स्थिति हो सकती हैं।

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