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मानव रचना सेंटर फॉर एडवांस वॉटर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की ओर से हुई कार्यशाला

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मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एमआरआईआईआरएस) में मानव रचना सेंटर फॉर एडवांस वॉटर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (एमआरसीएडबल्यूटीएम) की ओर से भूजल प्रणाली की गणितीय मॉडलिंग विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। अक्षत ग्राउंडवाटर कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ मिलकर हुई इस कार्यशाला में उद्योगों और खनन क्षेत्र के लिए केन्द्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) एनओसी मामलों से निपटने वाले मान्यता प्राप्त सलाहकारों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे सीजीडब्ल्यूबी के सदस्य टीबीएन सिंह और विशिष्ट अतिथि उपकुलपति एमआरआईआईआरएस प्रोफेसर (डॉ.) संजय श्रीवास्तव सहित चेयर प्रोफेसर (एमआरसीएडब्ल्यूटीएम) प्रोफेसर दीपांकर साहा व निदेशक (एमआरसीएडब्ल्यूटीएम) प्रोफेसर अरुणांगशु मुखर्जी ने विषय पर प्रकाश डाला। इसके बाद एमआरआईआईआरएस में डीन रिसर्च प्रोफेसर डॉ. सरिता सचदेवा और एचओडी सिविल इंजीनियरिंग प्रोफेसर सुनीता बंसल ने भी विचार रखे। सत्र की मेजबानी एमआरसीएडबल्यूटीएम के रिसर्च एसोसिएट डॉ. साकिर अली ने की। इसके बाद तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ।

जिसमें विशेषज्ञों ने भूजल मॉडलिंग पर पांच केस स्टडीज पेश की। इस दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर शशांक शेखर और रिंकी कुमारी सहित केयर्न एनर्जी से उप महाप्रबंधक डॉ. रंजन सिन्हा, वैज्ञानिक ई सीजीडब्ल्यूबी डॉ. रंजन राय, वैज्ञानिक डी सीजीडब्ल्यूबी फरीदाबाद एस एन द्विवेदी और एनडब्ल्यूआईसी नई दिल्ली से डॉ. सुमन कुमार ने संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में इंटरेक्टिव सत्र भी आयोजित हुआ जहां सभी प्रतिभागियों ने भूजल प्रवाह मॉडलिंग के विभिन्न अनुप्रयोगों और चुनौतियों के बारे में चर्चा की।

कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने जानकारी देते हुए कहा कि भूजल मॉडल भूजल प्रवाह की स्थिति और प्रदूषकों के वाहकों का पता लगाने का सशक्त माध्यम हैं। विभिन्न जल प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने में भी ये मॉडल बेहद उपयोगी है। इस कार्यशाला में सीजीडब्ल्यूबी, आईआईटी दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय, अक्षत ग्राउंड वाटर कंसल्टेंसी सर्विस, आईडब्ल्यूएमआई दिल्ली, एनडब्ल्यूआईसी नई दिल्ली, फ्लड कॉन नोएडा जैसे विभिन्न गैर सरकारी संगठनों से वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, पेशेवरों और युवा शोधकतार्ओं ने भाग लिया।

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