पुन्हाना। जिले के 90 प्रतिशत सरकारी ही नहीं बल्कि प्राईवेट स्कूलों में खेल के मैदान ही नहीं हैं। जिले के स्कूलों में खेल मैदान केवल कागजों में दिखरहे हैं, जबकि धरातल पर खेल के मैदान ही नहीं बचे हैं। जिले में शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में जिले में खेल प्रतिभाएं कैसे निकल पाएंगी।
जिले में केवल दस प्रतिशत स्कूलों में ही खेल के मैदान बचे हैं। वहां पर रख-रखाव की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मैदानों में घास पूरी तरह से सूख चुकी है। कुछ प्राईवेट स्कूलों ने मान्यता लेने के लिए केवल कागजों में दिखाए हुए हैं। वहीं नाममात्र के स्कूलों में जरूर खेल मैदान दिखाई दिए हैं। बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में यमुनानगर के एक स्कूल के मामले में कहा था कि बिना मैदान के स्कूल नहीं हो सकता है। मैदान की जगह को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के भी आदेश दिए हैं। इसके अलावा स्कूल को मान्यता लेने के लिए खेल मैदान का होना भी जरूरी है।
जिले में हरियाणा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में नाममात्र को छोड़कर अन्य स्कूलों में खेल के मैदान दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में जरूर मैदान दिख रहे हैं जबकि सरकारी स्कूलों में हालात बहुत खराब हैं। खेल के मैदान तो दूर की बात है अधिकांश स्कूलों में पर्याप्त भवन और कमरे ही नहीं हैं। पुन्हाना शहर के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक, नकनपुर मीडिल एवं प्राथमिक, जैवंत और खेडला-पुन्हाना, शिकरावा बाल, सिंगार कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सहित जिले में बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों में खेल मैदान पूरी तरह से गायब हैं।
नूंह जिले में कुल 950 स्कूल हैं। इनमें 126 सीनियर सेकेंडरी, आठ हाई स्कूल, 306 मिडिल स्कूल, 500 प्राइमरी स्कूल हैं तो पांच आरोही माडल तथा पांच कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हैं। जिले के सरकारी स्कूलों में सरकार द्वारा प्रति वर्ष लाखों रुपए का खेल का सामान भेजा जा रहा है, लेकिन खेल मैदान ना होने के चलते खेल किट और सामान अलमारी में बंद धूल फांक रहा है। उससे बच्चों को सामान का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।