महाराष्ट्र से भाजपा नेता पंकजा मुंडे का कहना है की महाराष्ट्र के लोग निराशा का सामना करने की क्षमता खो चुके हैं,इसके साथ उन्होंने यह भी कहा है कि अब वह घर पर नहीं बैठेंगी जल्दी ही सियासत के मैदान में उतरेंगी।
दशहरे के मौके पर पंकजा मुंडे बीड जिले के सावरकर गांव में पहुंची वहां उन्होंने,मराठा आरक्षण समेत कई मौजूदा मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी। गौरतलब है कि पंकजा मुंडे 2019 में विधानसभा चुनाव हार गई थी और उसके बाद उन्हें सरकार में कोई जगह नहीं दी गई।
महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने का कहना है कि प्रदेश में जब शिव शक्ति यात्रा चल रही थी तो उन्हें लोगों से जबरदस्त समर्थन मिला। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जब उनकी चीनी मिल पर छापा पड़ा तो समर्थकों ने दो दिनों के अंदर ही 11 करोड़ रुपए उनके लिए जमा किए। लेकिन उन्होंने कहा कि मैं पैसे नहीं लूंगी लेकिन मैं योगदान देने वाले लोगों का आशीर्वाद लूंगी। गौरतलब है कि पंकजा मुंडे की चीनी मिल पर जीएसटी का छापा पड़ा था।
बीड जिले की रैली में पंकजा ने कहां की क्या आज किसान खुश है,क्या उन्हें फसल बीमा और सरकारी मदद मिल रही है,इसके साथ उन्होंने बीड के गन्ना काटने वाले किसानों का मुद्दा उठाया और कहां की अगर उन्हें मजदूरी ठीक से नहीं मिली तो वे काम नहीं करेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर “मैं उन्हें न्याय नहीं दिला पाई, तो अगली दशहरा रैली में अपना चेहरा नहीं दिखाऊंगी”।
इसके साथ ही पंकजा मुंडे ने यह भी दावा किया कि ग्रामीण विकास मंत्री के तौर में उन्होंने जो ग्राम पंचायत के लिए अच्छी सड़कों और दफ्तरों का निर्माण सुनिश्चित किया था और यह नहीं सोचा कि गांव में कौन सा समुदाय प्रभावशाली है अब वह दूसरों को हराने के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगी और उन लोगों को हराने के लिए काम करेगी,जिनमें प्रदेश को आगे ले जाने की क्षमता नहीं है।