अगर बीजेपी आंध्र में अपनी जीत का परचम लहराना चाहती है तो उनके लिए चंद्रबाबू नायडू का साथ बहुत जरूरी है हालांकि एनडीए और यूपीए के बाहर रहे दलों में आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी की भूमिका लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनाव में अहम मानी जाती है। लेकिन वह लाख कोशिशें के बावजूद भी एनडीए में अपनी जगह नहीं बना सके। लगभग ढाई दशक पहले जब एनडीए बना था तो उसमें टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी अहम भूमिका निभाई थी लेकिन अंदर खाने खबरें ऐसी है कि चंद्रबाबू नायडू एनडीए में शामिल नहीं हो रहे हैं उसकी असली वजह आंध्र प्रदेश की सत्तारुढ़ जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को माना जा रहा है। वाईएसआर कांग्रेस से केंद्र की भाजपा सरकार के साथ अच्छे रिश्ते हैं, पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हालांकि वाईएसआर कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था और टीडीपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था, इसके बावजूद टीडीपी ने लगभग 39फीसदी वोट हासिल किए थे इसलिए पार्टी की जमहनी नींव अभी भी ज्यादा कमजोर नहीं हुई है इन चुनाव में उसके सामने अपने प्रदर्शन को सुधारने का मौका है। तो वहीं राज्यसभा में बीजेपी जब संकट में होती है तो वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल उसे सहारा देते हैं हाल में दिल्ली में अध्यादेश से जुड़े विधेयक के मामले में भी वाईएसआर कांग्रेस ने बीजेपी की मदद की। अंदर खाने खबरें ऐसी है कि वाईएसआर प्रमुख जगनमोहन नहीं चाहते हैं कि चंद्रबाबू नायडू एनडीए का हिस्सा बने क्योंकि उन्हें डर यह है कि बीजेपी की मदद से चंद्रबाबू राज्य में अपनी स्थिति को सुधार लेंगे और अगर नायडू एनडीए का हिस्सा बनते हैं तो वाईएसआर के लिए एनडीए का परोक्ष समर्थन करने से राजनीतिक मुश्किल पैदा हो सकती है हालांकि टीडीपी से चुनावी गठबंधन बीजेपी के लिए फायदेमंद ही साबित होगा बीजेपी को वहां अपने खुद को मजबूत करने का मौका मिल सकता है आंध्र प्रदेश में प्रदर्शन को लेकर भाजपा की खासी आलोचना भी होती रही है जीतने वोट वहां नोटा को मिलते हैं उससे कम बीजेपी को मिल पाते हैं लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मौजूदा वक्त में बीजेपी जगन मोहन रेड्डी को नाराज नहीं करना चाहती है।
बीजेपी को चंद्रबाबू नायडू का साथ जरूरी—
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