Wednesday, February 5, 2025
16.2 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeIndiaमालवा-निमाड को साधने की कोशिश में बीजेपी

मालवा-निमाड को साधने की कोशिश में बीजेपी

Google News
Google News

- Advertisement -

मध्य भारत की राजधानी कहलाने वाला मध्य प्रदेश, जिसके लिए यह कहा जाता है की मध्य प्रदेश में सत्‍ता की चाबी उसी के हाथों में जाती है जो मालवा और निमाड़ अंचल में अपनी पैठ कायम कर लेता है। बीजेपी इस क्षेत्र में बड़ी जीत के लक्ष्य पर काम भी कर रही है तो वहीं कांग्रेस 2018 की तरह प्रदर्शन दोहराने की जो राजमाइश में जुट गई है तो वही विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो जायस और ओवैसी की पार्टी हालांकि एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन उन्हें भी मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ियों के तौर पर देखा जाता है जो कभी भी किसी का भी खेल खराब कर सकते हैं। मध्य प्रदेश की चुनावी कमान संभालने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने 30 जुलाई को इंदौर से बूथ कार्यकर्ताओं का सम्मेलन किया और चुनावी बिगुल फूंक दिया। पहले बड़े कार्यक्रम के लिए इंदौर को ही चुना जाता है क्योंकि यहीं से मालवा निमाड़ क्षेत्र को राजनीतिक तौर पर अहम माना जाता है।

मध्यप्रदेश में 200 सीट से ऊपर और 51 फ़ीसदी वोट शेयर के लक्ष्य पर काम कर रही बीजेपी ने मालवा निमाड़ अंचल में 50 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए क्षेत्र के सभी सभी नेताओं की कुंडली भी खंगाली जा चुकी है। साल 2013 से बिल्कुल उलट रहा था साल 2018 का जनादेश क्योंकि मालवा निमाड़ में दो संभाग इंदौर और उज्जैन आते हैं यहां की 66 विधानसभा सीटों में से 22 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। मध्यप्रदेश विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित है, यहां 2013 के चुनाव की बात की जाए तो 66 सीटों में से 57 पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस को सिर्फ नौ सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था।

2018 में बीजेपी को 28 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस ने 35 सीटों पर जीत हासिल की थी। बीजेपी को मालवांचल में हुए नुकसान की वजह जयस यानी जय आदिवासी युवा शक्ति को माना जा रहा है। जयस के युवा अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम के मुताबिक प्रदेश में 80 आदिवासी बहुल सीटों पर हम अपने लोगों को निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर चुनाव लड़वाएंगे, उनका यह कहना है कि हमारे दरवाजे सबके लिए खुले हैं जो आदिवासियों की बात करेगा हम उसके साथ रहेंगे।

बीजेपी मालवा निमाड़ को जीतने के लिए हमेशा से कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व पर भरोसा करती है और वाकय में यह सच भी है क्योंकि उनका नेटवर्क बहुत मजबूत है। कैलाश विजयवर्गीय की बूथ से लेकर जिला स्तर तक मजबूत टीम बनी हुई है। साल 2023 विधानसभा चुनाव में सारे सूत्र दिल्ली के हाथ में है इसलिए विजयवर्गीय पर भरोसा किया जा रहा है तो वहीं कांग्रेस अपनी पार्टी के अध्यक्ष कमल नाथ और आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया पर अपना भरोसा जताती है क्योंकि दोनों की ही आदिवासी समाज पर अच्छी पकड़ है। कांग्रेस ने प्रचार समिति भी बनाई है और उसकी जिम्मेदारी आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया को दी गई है। 32 सदस्य इस चुनाव प्रचार समिति में है। मालवा-निमाण क्षेत्र के भूरिया समेत नौ लोगों को इस समिति में जगह दी गई है।

आंकड़ों पर नजर डाले तो 15 जिले मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ में हैं 66 विधानसभा सीटें हैं, 22 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, विधानसभा चुनाव में एसपी की 22 सीटों पर 2013 में 18 पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा तो वहीं साल 2018 की बात की जाए तो 6 पर बीजेपी और 16 पर कांग्रेस का पलड़ा भारी था जातीय समीकरण पर नजर दौड़ाए तो अन्य 19 फ़ीसदी अनुसूचित जनजाति 38 फ़ीसदी 11 फ़ीसदी ओबीसी 12 फ़ीसदी अनुसूचित जाति।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

माता प्रकाश कौर श्रवण एवं वाणी निशक्तजन कल्याण केंद्र में बच्चों को मिलेगा पोटरी कुम्हारी कौशल

करनाल: माता प्रकाश कौर श्रवण एवं वाणी निशक्तजन कल्याण केंद्र में एक नई पहल की शुरुआत की गई है। समिति की चेयरपर्सन श्रीमती मेघा...

क्रेडिट कार्ड जेनरेट कराने का झांसा देकर साइबर फ्रॉड करने के मामले में साइबर थाना NIT की टीम ने एक आरोपी को किया गिरफ्तार,

फरीदाबाद- पुलिस आयुक्त सतेंद्र कुमार गुप्ता द्वारा शहर में साइबर अपराध पर कार्यवाही के दिए गए दिशा-निर्देश के अंतर्गत थाना साइबर NIT की पुलिस...

Recent Comments